इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की महानिदेशक वी. विद्यावती को जमकर लताड़ लगाई है। हाईकरोट ने एएसआई से ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की आयु का सुरक्षित मूल्यांकन के मुद्दे पर राय मांगी थी। लेकिन एएसआई अभी तक इस मुद्दे पर कोई रिपोर्ट हाईकोर्ट को नहीं दे पाया है। इस पर हाईकोर्ट ने उन्हें जमकर फटकार लगाई ।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्रा ने ASI अधिकारियों के रवैये को “सुस्त” बताया साथ ही महानिदेशक वी. विद्यावतीको 17 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने का समय दिया है।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने ASI अधिकारी वी. विद्यावती को फटकार लगाते हुए कहा कि उनकी ये निष्क्रियता अदालती कार्यवाही में बाधा डाल रही है। हालांकि, अदालत ने ASI को 17 अप्रैल तक मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आखिरी मौका दिया है। हाई कोर्ट ने कहा निश्चित रूप से, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक की ओर से यह सुस्त रवैया निराशजनक है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक का पद संभालने वाले एक बड़े अधिकारी को इस मामले की गंभीरता को समझाना चाहिए और मुख्य रूप से इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायालय के आदेशों का सम्मान करना चाहिए।
न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्रा, लक्ष्मी देवी और अन्य तीन लोगों द्वारा दायर एक पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई कर रहे है। जिन्होंने वाराणसी कोर्ट के आदेश को 14 अक्टूबर, 2022 को चुनौती दी थी। वाराणसी की अदालत ने 16 मई 2022 को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर पाए गए शिवलिंग जैसी संरचना की वैज्ञानिक जांच कराने के लिए हिंदू पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया था।