कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मंगलवार को भर्ती घोटाले में तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी और इसी तरह के अन्य संदिग्धों पर मीडिया कवरेज के लिए दिशानिर्देश जारी किए है।
न्यायालय ने कहा कि मीडिया की रिपोर्टिंग वस्तुनिष्ठ होनी चाहिए और आरोपी व्यक्तियों पर गुमनाम आरोप लगाए बिना, समाचारों को राय से अलग करना चाहिए।
उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय को यह भी निर्देश दिया कि वह आरोप पत्र दाखिल करने से पहले संदिग्धों के विवरण का खुलासा न करे, या पूछताछ और छापों का विवरण मीडिया को न दे।
ईडी और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) दोनों ने अभिषेक बनर्जी को समन जारी किया है। कथित घोटाले में अवैध तरीकों से राज्य संचालित स्कूलों में शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियाँ शामिल थीं।
इस मामले में अब तक 126 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति कुर्क की जा चुकी है।
ईडी ने इसमें पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी, उनकी कथित सहयोगी अर्पिता मुखर्जी, टीएमसी विधायक और पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य, टीएमसी युवा विंग के नेता कुंतल घोष और शांतनु बनर्जी, अयान सिल को भी गिरफ्तार किया है। मामला जहां उसने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत कुल पांच आरोप पत्र दायर किए हैं।
ईडी द्वारा गिरफ्तारी के बाद पार्थ चटर्जी को टीएमसी ने निलंबित भी कर दिया था।
एक समन के अनुसरण में, अभिषेक बनर्जी 13 सितंबर को मामले के सिलसिले में कोलकाता में ईडी कार्यालय में उपस्थित हुए थे।
टीएमसी सांसद को यह समन केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा ‘लीप्स एंड बाउंड्स प्राइवेट लिमिटेड’ के कार्यालय में छापेमारी के कुछ सप्ताह बाद आया है, जिस पर संघीय एजेंसी ने आरोप लगाया था कि इसका इस्तेमाल “करोड़ों रुपये के संदिग्ध लेनदेन करने के लिए किया गया था।”
ईडी ने दावा किया कि बनर्जी कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।
ईडी ने राज्य सहायता प्राप्त स्कूलों में भर्तियों में कथित अनियमितताओं के संबंध में 11 अक्टूबर को अभिषेक बनर्जी की पत्नी रुजिरा बनर्जी से भी पूछताछ की थी।
यह पहली बार था कि ईडी ने रुजिरा को शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में पूछताछ के लिए उपस्थित होने के लिए कहा था। इससे पहले कोयला चोरी से संबंधित कथित मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में उनसे पूछताछ की गई थी।