वाराणसी जिला न्यायालय ने एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) को वुजुखाना को छोड़कर संपूर्ण ज्ञानवापी मस्जिद के पूरे परिसर का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया है। कोर्ट का यह निर्देश हिंदू भक्तों की अर्जी पर व्यापक बहस के बाद आया है। न्यायालय ने एएसआई को संपूर्ण परिसर का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया और 4 अगस्त तक अंतिम रिपोर्ट दाखिल की। सर्वेक्षण में मस्जिद और उसके आसपास के ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व का आकलन करने की संभावना है। अदालत का उद्देश्य साइट के ऐतिहासिक संदर्भ और चल रहे कानूनी विवाद पर इसके निहितार्थ को समझना है।
ज्ञानवापी की पृष्ठभूमि
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद हिंदू और मुस्लिम दोनों के लिए ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण स्थल है। ऐतिहासिक वृत्तांतों के अनुसार, मस्जिद का निर्माण 17वीं शताब्दी में मुगल सम्राट औरंगजेब द्वारा मूल काशी विश्वनाथ मंदिर के स्थान पर किया गया था, जो भगवान शिव को समर्पित एक पवित्र हिंदू मंदिर है। मस्जिद के निर्माण के दौरान मंदिर की मूल संरचना आंशिक रूप से नष्ट हो गई थी।
कानूनी विवाद
दशकों से, यह स्थल अपने स्वामित्व और नियंत्रण को लेकर हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच विवाद का विषय रहा है। हिंदू समूहों ने दावा किया है कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण मूल काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त करने के बाद किया गया था, और वे उस स्थान पर मंदिर की बहाली की मांग कर रहे हैं। दूसरी ओर, मुस्लिम समूहों ने इन दावों का विरोध किया है और मस्जिद के संरक्षण के लिए तर्क दिया है।
एएसआई सर्वेक्षण
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) एक सरकारी संगठन है जो भारत के ऐतिहासिक स्मारकों और स्थलों की खोज, उत्खनन और संरक्षण के लिए जिम्मेदार है। इस विवाद के संदर्भ में, एएसआई को इसके पुरातात्विक महत्व का आकलन करने और इसके निर्माण से संबंधित ऐतिहासिक साक्ष्य इकट्ठा करने के लिए ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का व्यापक सर्वेक्षण करने के लिए कहा गया है।
वुज़ुखाना
कोर्ट ने वुजुखाने को एएसआई सर्वे से इसलिए बाहर रखा है क्यों कि कोर्ट कमिशन की जांच के दौरान वुजुखाने में एक शिवलिंगनुमा काले पत्थर की आकृति मिली थी। जिसे हिंदू पक्ष ने आदिदेश्वर शिव लिंग बताया है। इसी शिवलिंग की सीध में परिसर के बाहर नंदी का विग्रह भी है। मुस्लिम पक्ष इस आकृति को फव्वारा कहता है। यह विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। सुप्रीम कोर्ट ने विवाद हल होने तक वुजुखाने को सील करवा दिया है और किसी शख्स के आने-जाने की पाबंदी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वुजुखाने की सुरक्षा का दायित्व जिला प्रशासन और पुलिस को सौंप दिया गया है।