मुंबई की एक विशेष एनआईए अदालत ने बांग्लादेश के दो नागरिकों को अल-कायदा से जुड़े अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) के आतंकवादियों को शरण देने के आरोप में पांच साल कैद की सजा सुनाई है।
संघीय एजेंसी के एक प्रवक्ता ने कहा कि रिपेन हुसैन उर्फ ’रूबेल’ और मोहम्मद हसन अली को विशेष अदालत ने भारतीय दंड संहिता और विदेशी अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया, जबकि शेष तीन आरोपियों के खिलाफ मुकदमा जारी है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सितंबर 2018 में सभी गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।अधिकारी ने मिडिया को बताया कि अदालत ने दोषी व्यक्तियों को पांच-पांच साल कैद की सजा के अलावा जुर्माना भी लगाया।
महाराष्ट्र पुलिस ने शुरू में 16 मार्च, 2018 को इस इनपुट पर मामला दर्ज किया था कि कई बांग्लादेशी नागरिक वैध दस्तावेजों के बिना पुणे में रह रहे थे और एबीटी के सदस्यों को बढ़ावा देने और सहायता करने में शामिल थे।
प्रवक्ता ने कहा, सूचना पर कार्रवाई करते हुए, पुलिस ने धोबीघाट, भैरोबा नाला, पुणे में मोहम्मद हबीबुर रहमान हबीब उर्फ ’राज जेसुब मंडल’ को रोका और बाद में पांच बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार कर लिया था।
एनआईए ने 18 मई 2018 को मामले की जांच अपने हाथ में ली थी।
प्रवक्ता ने कहा कि जांच से पता चला है कि गिरफ्तार बांग्लादेशी नागरिकों ने अवैध रूप से भारत में घुसपैठ की और फर्जी दस्तावेज उपलब्ध कराकर फर्जी नामों के तहत पैन कार्ड, आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड हासिल किए थे।