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मोदी सरनेम डिफेमेशनः राहुल गांधी को गुजरात HC से राहत नहीं, सजा पर रोक लगाने से इंकार, फैसला सुरक्षित

राहुल गांधी, गुजरात हाईकोर्ट

मोदी सरनेम डिफेमेशन मामले में राहुल गांधी को फिल्हाल कोई राहत नहीं मिली है। गुजरात हाई कोर्ट के जज जस्टिस हेमंत पृच्छक ने कहा कि फिल्हाल जो साक्ष्य और गवाह सामने आए हैं उनको देखते हुए पिटीशनर यानी राहुल गांधी को कोई अंतरिम राहत नहीं दी जा सकती। उनकी पिटीशन पर ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद फैसला लिया जाएगा।

राहुल गांधी की ओर से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कई बार जोर डालकर कहा कि कोर्ट मामले में जो चाहे वो फैसला आज ही देदे। इस पर सरकारी वकील ने आपत्ति जताई और कहा कि पिटीशनर ने कुछ आपत्तियां की हैं उनका रिकॉर्ड आना बाकी है इन हालात में फिल्हाल कोई भी आदेश पारित उचित नहीं होगा। इस पर हाईकोर्ट ने कहा है कि सभी संबंधित पक्षों से रिकॉर्ड तलब किए गए हैं। अंतिम फैसला रिकॉर्ड्स को देखने के बाद ही दिया जा सकता है।

राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी के बार-बार जोर डालने पर जस्टिस पृच्छक ने ने मौखिक तौर पर कहा कि वो चार मई के बाद बाहर है इसलिए अब फैसला छु्ट्टियों के बाद ही संभव है।

इससे पहले अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिए थे कि सेशन कोर्ट चाहता तो सजा को सस्पेंड कर सकता था लेकिन ऐसा नहीं किया गया। जिससे उनके मुवक्किल की संसद सदस्यता चली गई। अगर राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल नहीं होती है तो जिस संसदीय क्षेत्र से वो जीत कर आए हैं उस क्षेत्र की जनता का प्रतिनिधित्व संसद में नहीं हो पाएगा। अभिषेक मनु सिंघवी ने इस मामले को संवेदनशीलता और नैतिकता से जोड़ कर गुजरात हाईकोर्ट को प्रभावित करने की कोशिश की तो वहीं तमाम ऐसे सवाल उठाए जिससे यह साबित हो रहा था कि निचली अदालतों ने राहुल गांधी के साथ अन्याय किया है।

अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह एक मामूली मामला और कोर्ट को इस पर अपना फैसला दे देना चाहिए। इस पर जस्टिस पृच्छक ने सिंघवी को अब्दुल्ला आजम के केस याद दिलाया और कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट 15 साल पुराने धरना प्रदर्शन में मामले में सजा याफ्ता अब्दुल्ला आजम की याचिका पर फैसला ग्रीष्म कालीन छुट्टियों के बाद के लिए सूचीबद्ध किया है तो यह केस तो उससे बड़ा है। अंत में गुजरात हाईकोर्ट के जज जस्टिस हेमंत पृच्छक ने परिस्थितियां फैसला सुनाने योग्य नहीं है इसलिए पिटीशनर को कोई अंतरिम प्रोटेक्शन नहीं दी जासकती, फैसला ग्रीष्मकालीन छुट्टियों के बाद सुनाया जाएगा।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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