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PFI मनी लॉन्ड्रिंग मामला: SC ने केस को यूपी से केरल ट्रांसफर करने से किया इनकार

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट से पीएफआई महासचिव केए रऊफ शेरिफ को बड़ा झटका मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने रऊफ शेरिफ की उस याचीका को ख़ारिज कर दिया है जिसमें उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला लखनऊ से केरल स्थानांतरित की मांग की गई थी।

जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम और जस्टिस पंकज मिथल की खंडपीठ ने कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) के महासचिव केए रऊफ शेरिफ द्वारा लखनऊ में विशेष पीएमएलए अदालत से मनी लॉन्ड्रिंग मामले को केरल के एर्नाकुलम के विशेष अदालत में स्थानांतरित करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि लखनऊ की पीएमएलए कोर्ट को शिकायत पर विचार करने के लिए क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र की कमी नहीं कहा जा सकता है। अदालत ने कहा किसी भी मामले में, शिकायत पर विचार करने के लिए अदालत के अधिकार क्षेत्र की कमी इसके स्थानांतरण का आदेश देने का कोई आधार नहीं हो सकती है।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता एस नागमुथु ने तर्क दिया कि विशेष अदालत, लखनऊ के समक्ष कार्यवाही अधिकार क्षेत्र से बाहर है क्योंकि अभियोजन पक्ष द्वारा कथित सभी आपराधिक गतिविधियां केरल में हुईं। यह भी बताया गया कि 6 फरवरी, 2021 की अभियोजन शिकायत में नामित सत्रह गवाहों में से बारह, 6 मई, 2022 की पूरक शिकायत में नामित चौदह गवाहों में से नौ, और संयुक्त अभियोजन शिकायत में नामित नौ गवाहों में से पांच दिनांक 18 नवंबर, 2022 केरल या दक्षिण भारत से हैं। इसके अलावा, याचिकाकर्ता को आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 167 (2) के तहत एर्नाकुलम में एक विशेष न्यायाधीश द्वारा कानूनी रूप से हिरासत में भेज दिया गया था, और इस प्रकार लखनऊ में अभियोजन शिकायत दर्ज करना अवैध है।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा यह कहना गलत होगा कि लखनऊ में विशेष पीएमएलए कोर्ट के पास वर्तमान मामले में अधिकार क्षेत्र नहीं है। खंडपीठ ने यह कहना कि अधिकांश अभियुक्त और गवाह केरल या दक्षिण भारत से हैं, जांच के हस्तांतरण का आदेश देने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।

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About the Author: Meera Verma

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