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बूंदी नाबालिग रेप मामला: हाई कोर्ट ने दोनों आरोपियों को किया बरी, पोक्सो कोर्ट ने सुनाई थी फांसी की सज़ा

Rajasthan High Court

राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीठ ने बूंदी नाबालिग से रेप के मामले में दो आरोपियों को बरी कर दिया है। हाईकोर्ट में जस्टिस पंकज भंडारी की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पूरे मामले में पुलिस के पास कोई चश्मदीद गवाह नहीं था। इसके अलावा पुलिस सबूत जुटाने, सामान जब्ती के समय किसी भी स्वतंत्र गवाह को नहीं रखा।

दोनों आरोपियों पर नाबालिग से रेप के बाद हत्या करने का आरोप था और पोक्सो कोर्ट ने फांसी की सज़ा सुनाई थी।

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि एफएसएल, मेडिकल और डीएनए रिपोर्ट से कहीं भी यह साबित नहीं होता है कि इन दोनों आरोपियों ने नाबालिग से रेप किया है। पोक्सो कोर्ट ने केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर सजा सुनाई है। हाई कोर्ट ने कहा परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर सजा तभी सुनाई जा सकती है, जब कड़ी से कड़ी मिले, लेकिन इस पूरे केस में कई जगह कड़ियां टूट रही हैं। मामले में न्यायमित्र अधिवक्ता रवि चिरानिया ने कहा कि पोक्सो कोर्ट ने भावनात्मक रूप से फैसला सुनाया जबकि फैसला कानून सम्मत होना चाहिए।

हाई कोर्ट ने फैसले में कहा कि एफएसएल रिपोर्ट में कहा गया, डेड बॉडी से साथ रेप किया गया और इस आधार पर पोक्सो कोर्ट ने इस मामलें को रेयरेस्ट ऑफ रेयर माना था।
जबकि रिपोर्ट में केवल इस बारे में संभावनाएं जताई गई थी। अदालत ने कहा इस बारे में कोई भी प्रमाण नहीं दिया गया था। घटना का कोई चश्मदीद गवाह और ठोस सबूत पुलिस ने पेश नहीं किया।

अदालत ने कहा 62 वर्षीय आऱोपी छोटूलाल की जब्त धोती पर जो खून के निशान मिले। वो पीड़िता के नहीं थे। वो आऱोपी के खून से ही मैच होते है। इसके अलावा छोटूलाल के खिलाफ कोई सबूत पुलिस ने पेश नहीं किए।

दरसअल बूंदी जिले के खीण्या पंचायत के गांव काला कुआं के जंगल में बकरिया चराने गई नाबालिग की 23 दिसम्बर 2021 शव मिला। पुलिस ने इस मामले में तत्परता दिखाते हुए अगले दिन ही तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया था। एक आरोपी नाबालिग था, जिसका ट्रायल जुवेनाइल कोर्ट में अलग से चल रहा है। वहीं दो अन्य आरोपी सुल्तान और 62 साल के छोटूलाल के खिलाफ बूंदी की पोक्सो कोर्ट में मुकदमा चला, जिसके बाद कोर्ट ने 28 अप्रैल 2022 को दोनों को फांसी की सजा सुनाई थी।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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