भारत के सैन्य बलों की भर्ती के लिए लाई गई अग्निपथ योजना की वैधता को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अग्निपथ की वैधता को सही ठहराने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। इसके अलावा भारतीय वायुसेना में अग्निपथ योजना के तहत भर्ती से संबंधित याचिका पर सुनवाई के लिए भी सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर 17 अप्रैल को सुनवाई करेगा।
अग्निपथ योजना आने के बाद भारतीय वायु सेना में भर्ती की पुरानी योजना को निरस्त कर दिया गया। इससे भर्ती में शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों की नियुक्ति खटाई में पड़ गई। अब सर्वोच्च अदालत इस मामले पर सुनवाई करेगी।
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में अग्निपथ योजना की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा था। अदालत ने कहा कि ‘जिन नीतिगत फैसलों का देश के स्वास्थ्य और रक्षा क्षेत्र पर बड़ा असर पड़ता है, वो फैसले उन्हीं निकायों को लेने चाहिए, जो इनके विशेषज्ञ हैं।’ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में पूर्व में दिए फैसलों की श्रृंखला का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘जब तक सरकार द्वारा लिए गए नीतिगत फैसले मनमाने, भेदभावपूर्ण या संविधान के किसी प्रावधान और कानून का उल्लंघन नहीं करते हैं तो अदालत इस तरह के नीतिगत फैसलों पर सवाल नहीं उठाएगी।’
अग्निपथ योजना की शुरुआत जून 2022 में हुई। इस योजना के तहत साल साढ़े सत्रह साल से 21 साल के बीच के करीब 45-50 हजार युवाओं को सेना में भर्ती किया जाएगा। इनमें से अधिकतर चार साल की सेवा के बाद सर्विस से बाहर हो जाएंगे और सिर्फ 25 प्रतिशत को ही अगले 15 साल के लिए सेवा जारी रखने के लिए चुना जाएगा। सरकार की अग्निपथ योजना का देशभर में बड़े पैमाने पर विरोध भी हुआ था। हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में अग्निपथ योजना को देशहित में माना और कहा कि इससे हमारे सुरक्षा बल ज्यादा बेहतर बनेंगे।