
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की गुवाहाटी विशेष अदालत ने प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम) मॉड्यूल के आरोपी मोहम्मद सैदुल आलम को जुर्माने के साथ पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है।
एनआईए ने बताया है कि 11 मार्च, 2019 को पांच लोगों को चार्जशीट किया गया था और उनमें से दो की पहचान मोहम्मद सहनवाज अलोम और मोहम्मद उमर फारूक के रूप में की गई थी।”
एनआईए जांच से पता चला कि तीन सजायाफ्ता अभियुक्तों ने असम में हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम) मॉड्यूल स्थापित करने के लिए एक कामरूज जमान के साथ साजिश रची थी। साल “2017-2018 के दौरान, उन्होंने जमुनामुख क्षेत्र में और उसके आसपास विभिन्न मस्जिदों, जैसे कि मिलनपुर मस्जिद, इस्लामपुर मस्जिद और सोलमारी मस्जिद में कई बैठकें आयोजित कीं। इन बैठकों का इस्तेमाल प्रतिबंधित संगठन की कट्टर कट्टरपंथी विचारधारा को फैलाने के लिए किया गया, जिसमें भाषणों में कथित अत्याचार और जिहादके बारे में बताया गया था। इन बैठकों में भाग लेने वाले युवाओं को कथित अत्याचारों आदि के जवाब में आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने के लिए एचएम के एक मॉड्यूल को बनाने की आवश्यकता भी जाहिर की गई थी।
अधिकारियों के मुताबिक, कामरूज, शाहनवाज और उमर ने हथियार और गोला-बारूद की खरीद के लिए धन जुटाने की साजिश रची।
“उमर, एक अन्य आरोपी जयनाल उद्दीन के साथ, रसद सहायता प्रदान करता था। अपनी बातचीत को गुप्त रखने के लिए, कमरुज ज़मान और सैदुल आलम ने अपने मोबाइल सेट पर ब्लैकबेरी मैसेंजर (बीबीएम) ऐप भी इंस्टॉल किया था। कामरुज ने जम्मू और कश्मीर में हिजबुल मुजाहिदीन के कैडर,संपर्क में रहने के लिए इस ऐप का इस्तेमाल किया था।
आगे की जांच से पता चला कि सैदुल ने कामरूज, सहनवाज और उमर के साथ मिलकर दशहरे की पूर्व संध्या पर लुमडिंग और होजई के गैर-मुस्लिम इलाकों में बम विस्फोट और निर्दोष नागरिकों पर सशस्त्र हमले करने की साजिश रची थी। उन्होंने इन हमलों के लिए हथियार और गोला-बारूद खरीदने की भी योजना बनाई थी।