गुजरात के नरोदा गाम दंगे मामले में गुरुवार को अहमदाबाद की एक विशेष अदालत गुजरात की पूर्व मंत्री और भाजपा नेता माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी समेत
68 आरोपियों को को बरी कर दिया है। कुछ दिन पहले विशेष अभियोजक सुरेश शाह ने मीडिया को बताया था कि अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष ने 2010 में शुरू हुए मुकदमे के दौरान क्रमशः 187 और 57 गवाहों का परीक्षण किया और लगभग 13 साल तक चले इस मामले में छह न्यायाधीश सुनवाई कर चुके हैं। सितंबर 2017 में भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह भाजपा नेता माया कोडनानी के पक्ष में गवाह के रूप में अदालत के समक्ष पेश हुए थे क्योंकि कोडनानी ने अदालत से अनुरोध किया था कि उन्हें यह साबित करने के लिए बुलाया जाए कि घटना के दिन वह (माया कोडनानी) गुजरात विधानसभा में और बाद में सोला सिविल अस्पताल में मौजूद थीं, न कि नरोदा गाम में, जहां नरसंहार हुई था।
दरअसल, 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद शहर के नरोदा गाम इलाके में सांप्रदायिक हिंसा में कुल 11 लोग मारे गए थे। इस मामले में पूर्व मंत्री और भाजपा नेता माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी समेत86 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज हुआ था, हालांकि 86 में से अब तक 18 लोगों की मौत हो चुकी है।
27 फरवरी 2002 को कारसेवकों से भरी एक ट्रेन पर दंगाईयों ने हमला कर कर दिया गया था। गोधरा ट्रेन कांड में 58 कारसेवकों की हत्या कर दी गई थी। इसके ठीक एक दिन बाद अहमदाबाद शहर के नरोदा गाम इलाके में हिंसा हो हुई थी।