
सुप्रीम कोर्ट ने धर्मांतरण पर एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई करते हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकेटरमणी से कहा है कि वो इस गंभीर मुद्दे पर सहयोग करें। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर जवाब न आने पर नाराजगी जाहिर की साथ ही तमिलनाडु सरकार को फटकार लगाई कि मुद्दे का राजनीतिकरण न किया जाए। कोर्ट ने कहा ये सिर्फ एक राज्य का मामला नहीं है बल्कि धार्मिक धर्मांतरण एक गंभीर मुद्दा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा एजी आर वेंकेटरमणी से एमीकस बनने का आग्रह भी किया है। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई 7 फरवरी को करेगा।
दरअसल, बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी कि लोगों को डरा धमका कर, प्रलोभन देकर, काला जादू दिखाकर और अंधविश्वास का सहारा लेकर धर्मान्तरित किया जा रहा है। याचिकाकर्ता ने इस धर्मांतरण को रोकने के लिए केंद्र और राज्यों की ओर से सख्त कदम उठाने की मांग की थी इस याचिका की सुनवाई जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस जे शाह की बेंच कर रही है।
बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर मूल याचिका के विरोध में भी 8 याचिकाएं अभी तक दाखिल की गई हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सोलिसीटर जनरल तुषार मेहता को को कड़े शब्दों में कहा कि वो इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। पिछली दो बार वो अदालत में ही नहीं आए। तमिलनाडु सरकार की ओर से जब यह कहा गया कि ये राजनीति से प्रेरित याचिका है तो कोर्ट ने फटकार लगाई। एक याचिकाकर्ता के वकील अरविंद दातार के वर्चुएली पेश होने पर भी सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि इतने गंभीर मुद्दे पर वर्चुएली पेश होना उचित नहीं है। अरविंद दातार ने कोर्ट में कहा कि यह सुनवाई कल तक के लिए टाल दी जाए क्यों कि यह मामला लॉ कमीशन को भेजा जा कगा है। इसी बीच जमीयत उलमा-ए-हिंद की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि अल्पसंख्यकों के लिए कहे जा रहे अशोभनीय बयानों को भी संज्ञान में लिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह अत्यंत संवेदनशील विषय है इसलिए याचिका कर्ता के नाम की जगह विषय के नाम यानी इश्यू ऑफ रिलीजियस कनवर्जन लिखा जाए। बहरहाल, अब इस मामले की सुनवाई 7 फरवरी को होगी और अटॉरनी जनरल आर वेंकेटरमणी से एमीकस के तौर पर कोर्ट का सहयोग करने का आग्रह किया गया है।