सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एक बार फिर केंद्र सरकार की दलीलों को दरकिनार करते हुए सेम सेक्स मैरिज की याचिकाओं पर बहस जारी रखी। सरकार की ओर पेश हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उनकी आपत्तियां गुणों पर नहीं हैं। यदि योग्यताओं पर विचार किया जाना है तो तर्कों का एक अलग सेट है। ये केवल यह तय करने के लिए हैं कि कौन सा मंच निर्णय लेगा और कौन सा मंच उपयुक्त मंच होगा और संवैधानिक रूप से एकमात्र स्वीकार्य मंच होगा।” जहां यह बहस हो सकती है। इसलिए आपत्ति की प्रकृति के अनुसार, मेरे सम्मानजनक निवेदन में, इसे पहले सुना जाना चाहिए। सॉलीसीटर की इतना गिड़गिड़ाने के बावजूद सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं की विचारणीयता पर अपनी प्रारंभिक आपत्तियों को सुनने के लिए केंद्र की याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एसके कौल, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की संविधान पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा मामले में अपनी दलीलें खोलने के बाद प्रारंभिक आपत्तियों को सुनना है या नहीं, इस पर बाद में विचार किया जाएगा। हालांकि बहस के दौरान एक समय ऐसा भी आया जब सालिसीटर जनरल ने कहा कि अगर पीठ उनकी बात सुनने के लिए तैयार नहीं है तो उन्हें और समय चाहिए तैयारी के लिए। इस पर जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि क्या वो बहस से बाहर जा रहे हैं। इस पर सालीसीटर जनरल ने कहा कि वो बहस छोड़ कर नहीं जा रहे लेकिन उन्हें सरकार से बात करनी होगी और सरकार के तर्क जानने होंगे। बहरहाल कुल मिलाकर यह हुआ कि केंद्र सरकार की आपत्तियों वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सिरे से उड़ा दी और सेम सेक्स मैरिज को बैधता मिलनी चाहिए वाली याचिका पर बहस शुरू कर दी।
आज बहस के दौरान एडवोकेट सौरभ किरपाल सुप्रीम कोर्ट में शुरू से लेकर आखिर तक मौजूद रहे। बहस बुधवार को भी जारी रहेगी।