उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अच्छे आचरण वाले सजा याफ्ता कैदियों को सजा की अवधि पूरी होने से पहले ही रिहा करने की योजना बनाई है। इस योजना का एसओपी तैयार है और पहली अप्रैल से योजना की निगरानी भी शुरू कर दी जाएगी। राज्य सरकार ने रिहा करने वाले कैदियों की अंतिम सूची तैयार करने की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश लीगल सर्विस अथॉरिटी को सौंपी है।
उत्तर प्रदेश की लीगल सर्विस अथॉरिटी हर महीने राज्यों के जिला जेल के सुप्रीटेंडेट से यह सूचना एकत्र करेगा कि कौन से दोषी को प्री-मेच्योर रिलीज का लाभ दिया जा सकता है। कौन से मामले में यह छूट राज्य की ओर से दी जा रही है तथा इस नीति के तहत पारदर्शी और प्रभावी तरीके से प्री-मेच्योर रिलीज का लाभ दिया जा रहा है या नहीं। पहली अप्रैल, पहली अगस्त और पहली दिसंबर को इस पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण इस पर बैठक करेगा।
यह बैठक राज्य के गृह विभाग के सचिव के अतिरिक्त डायरेक्टर जनरल जेल के साथ की जाएगी, जिसमें यह देखा जाएगा कि अदालत के आदेश का सही से पालन किया जा रहा है अथवा नहीं।
राज्य सरकार पूरी तरह से कानूनी नियमों के तहत प्री-मेच्योर रिलीज पर अदालत के निर्देशों के तहत कार्य करेगा। इसके साथ ही राज्य प्री-मेच्योर रिलीज पर अंतरिम निर्णय लेगा। सभी दोषियों के प्री-मेच्योर रिलीज के मामलों का निपटारा तीन माह में किया जाएगा।
इसके लिए ऑनलाइन डैशबोर्ड सूचना के लिए तैयार किया जाएगा। ताकी सूचना आसानी से मिल सके कि कौन से दोषी कैदी प्री-मेच्योर रिलीज के योग्य है।