राजस्थान के भरतपुर की एक अदालत ने 30 साल पहले दो समुदायों के बीच हुई झड़प में शामिल होने के आरोप में 9 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है, जिसमें अनुसूचित जाति के 16 लोगों की मौत हो गई थी।
6 जून 1992 को जाट और जाटव समुदायों के बीच झड़प में 16 लोगों की मौत हो गई, जबकि 40 घायल हो गए। सभी मृतक और घायल जाटव समुदाय के हैं।
इसके बाद सीबीआई ने मामले की जांच की और जाट समुदाय के 83 लोगों के खिलाफ आईपीसी और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत आरोप पत्र दायर किया।
वकील राजेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि मुकदमे के दौरान 33 आरोपियों की मौत हो गई, 9 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है, जबकि 41 को बरी कर दिया गया है।