महाराष्ट्र में ठाणे जिला अदालत ने 16 वर्षीय लड़की से बलात्कार के आरोपी एक व्यक्ति को आरोप साबित करने में अभियोजन पक्ष की विफलता का हवाला देते हुए बरी कर दिया है।
विशेष न्यायाधीश डी एस देशमुख ने कहा कि अभियोजन पक्ष भारतीय दंड संहिता और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत आरोप स्थापित नहीं कर सका।
विशेष लोक अभियोजक वर्षा चंदाने ने अदालत को सूचित किया कि 22 मार्च, 2018 को 10वीं कक्षा की छात्रा स्कूल में दोस्तों से मिलने का दावा करके अपने घर से निकली लेकिन वापस नहीं लौटी।
छह दिन बाद लड़की और आरोपी थाने आए और उसने पुलिस को बताया कि आरोपी ने उसके साथ दुष्कर्म किया है।
न्यायाधीश ने कहा कि अभियोजक ने लड़की की मां को शत्रुतापूर्ण गवाह घोषित करते हुए कहा कि उन्होंने (लड़की और आरोपी ने) अदालत के बाहर मामला सुलझा लिया था और आरोपी उसकी बेटी से शादी करने की योजना बना रहा था।