वाराणसी जिला अदालत ने हिंदुओं की एक अर्जी पर सुनवाई करने और दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हिंदुओं के पक्ष में फैसला सुनाया है। वाराणसी कोर्ट ने कहा है कि व्यास जी के तहखाने में 1993 तक वहां पूजा होती थी। अयोध्या विवाद के बाद इस तहखाने में हिंदुओं को पूजा करने से रोक दिया गया था। हिंदुओं ने ज्ञानवापी परिसर में व्यास जी के तहखाने में पूजा की अर्जी में कहा था कि अयोध्या विवाद को हल हुए काफी समय हो चुका है। अयोध्या में राम मंदिर भी बन चुका है, इसलिए व्याज के तहखाने में हिंदुओं को फिर से पूजा का अधिकार बहाल किया जाना चाहिए।
दोनों पक्षों के वकीलों की दलीलें सुनने बाद अदालत ने हिंदू पक्ष को पूजा की अनुमति जारी कर दी। मिली जानकारी के मुताबिक काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट पुजारियों की नियुक्तियां करेगा और उसी की देखरेख में व्यास जी के तहखाने में पूजा-अर्चना एक बार फिर शुरु हो जाएगी।
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा है कि 32 साल बाद हिंदुओं को पूजा का अधिकार वापस मिलना एक बड़ी जीत है। अदालत के आदेश के बाद अब जिला प्रशासन जैसे ही व्यवस्था मुकम्मल करेगा वैसे ही पूजा-पाठ शुरू हो जाएगा। वकील विष्णु जैन का यह भी कहना है कि अदालत के आज के आदेश के बाद ज्ञानवापी परिसर में अब हिंदुओं को भी आने-जाने की अनुमति मिल गई है। दर असल काशी के सोमनाथ व्यास जी का परिवार 1993 तक तहखाने में नियमित पूजा पाठ करता था। 1993 के बाद तत्कालीन राज्य सरकार के आदेश पर तहखाने में पूजाबंद हो गई थी।
इस प्रकरण में वाराणसी कोर्ट के जिला जज डॉक्टर अजय कृष्ण विश्वेश ने अपने आदेश में साफ-साफ लिखा है कि ‘जिला मजिस्ट्रेट, वाराणसी / रिसीवर को निर्देश दिया जाता है कि यह सेटेलमेण्ट प्लाट नं0-9130 थाना-चौक, जिला वाराणसी में स्थित भवन के दक्षिण की तरफ स्थित तहखाने जो कि वादग्रस्त सम्पत्ति है, वादी तथा काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड के द्वारा नाम निर्दिष्ट पुजारी से पूजा, राग-भोग, तहखाने में स्थित मूर्तियों का कराये और इस उद्देश्य के लिए 7 दिन के भीतर लोहे की बाड़ आदि में उचित प्रबन्ध करें।’
ऐसा कहा जा रहा है कि इस आदेश का आश्य यह भी व्यास जी के तहखाने में हिंदुओं की निर्बाध पूजा के लिए भी कोर्ट ने जिला प्रशासन को स्पष्ट आदेश दिए हैं।