राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने शनिवार को बिहार जहरीली शराब त्रासदी में अन्य जिलों में हुई अधिक मौतों के बारे में मौके पर जांच के लिए अपने एक सदस्य की अध्यक्षता में अपनी जांच टीम को भर्जन का फैसला किया है।
एनएचआरसी ने अपने प्रेस वक्तव्य में कहा कि आयोग यह जानने के लिए चिंतित है कि इन पीड़ितों को कहां और किस तरह का चिकित्सा उपचार प्रदान किया जा रहा है।
एनएचआरसी ने कहा कि जिन लोगों की मौत हुई है, उनमें से ज्यादातर गरीब परिवारों से हैं और शायद निजी अस्पतालों में महंगा इलाज नहीं करा सकते हैं, इसलिए राज्य सरकार के लिए यह अत्यंत आवश्यक हो जाता है कि जहां कहीं भी उपलब्ध हो उन्हें सर्वोत्तम संभव चिकित्सा उपचार प्रदान किया जाए।
प्रेस रिलीज़ में आगे कहा गया है कि आयोग राज्य सरकार द्वारा दी गई राहत और पुनर्वास के बारे में जानना चाहता है और साथ ही इस सामाजिक सामाजिक बुराई को पूरी तरह से खत्म करने की दृष्टि से राज्य भर में अवैध शराब बनाने वाले हॉट स्पॉट को खत्म करने के लिए किए गए या किए जाने वाले उपायों के बारे में जानना चाहता है।
आयोग ने कहा है कि अप्रैल, 2016 में बिहार सरकार ने राज्य में शराब की बिक्री और खपत पर प्रतिबंध लगा दिया था, और इसलिए ऐसी घटनाओं से संकेत मिलता है कि वह अवैध और नकली शराब की बिक्री को रोकने में सक्षम नहीं है।