दिल्ली की पटियाला हाउस ने मंगलवार को इस्पात मंत्रालय के संयुक्त संयंत्र समिति (जेपीसी) के पूर्व कार्यकारी सचिव गौतम कुमार बसाक को कोयला ब्लॉक आवंटन से जुड़े भ्रष्टाचार के एक मामले में तीन साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई।
विशेष न्यायाधीश अरुण भारद्वाज ने मंगलवार को दोषी बसाक को तीन साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई और पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
कोयला संबंधी मामलों में यह 14वीं सजा थी।
इसविशेष न्यायाधीश अरुण भारद्वाज ने पिछले सप्ताह गौतम कुमार बसाक को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13(2) के साथ पठित धारा 13(1)(डी) के तहत दोषी ठहराया था।
सीबीआई के अनुसार, केंद्रीय कोयला मंत्रालय (एमओसी) ने नवंबर 2006 में कैप्टिव पावर प्लांटों/स्वतंत्र पावर प्लांटों के लिए कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए पावर, स्टील और सीमेंट उत्पादन में लगी कंपनियों से आवेदन आमंत्रित किए थे।
एमओसी द्वारा जारी विज्ञापन के जवाब में, कई कंपनियों ने कोयला ब्लॉकों के लिए आवेदन किया। मेसर्स प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित विजय सेंट्रल कोल ब्लॉक के लिए आवेदन किया था। सीबीआई ने कहा, इससे पहले चोटिया कोल ब्लॉक को मेसर्स प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड को आवंटित किया गया था।
सीबीआई ने कहा कि 12 जनवरी 2007 को एमओसी को सौंपे गए आवेदन में मेसर्स प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने अपनी स्पंज आयरन उत्पादन क्षमता 8 एमटीपीए होने का दावा किया था। मेसर्स प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा किए गए दावे पर विश्वास करते हुए, कोयला मंत्रालय की स्क्रीनिंग कमेटी ने मेसर्स प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड और मेसर्स एसकेएस आईस्पैट लिमिटेड और अन्य के पक्ष में विजय सेंट्रल कोल ब्लॉक के संयुक्त आवंटन की सिफारिश की।
इन सिफ़ारिशों को अंतिम मंजूरी के लिए प्रधान मंत्री कार्यालय को भेजा गया था। इस बीच, मेसर्स एसकेएस इस्पात लिमिटेड, मेसर्स यूथ एंटी करप्शन ब्यूरो और समाजवादी पार्टी के लोकसभा सदस्य ओम प्रकाश ने शिकायत दर्ज कराई थी कि मेसर्स प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने एक अपनी क्षमता के बारे में ग़लत जानकारी देकर स्क्रीनिंग कमेटी की सिफ़ारिश की थी। इस मामले में 7 अप्रैल 2010 को सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की थी।