गुरुवार को नकचक वेदिक मंत्रोच्चार के साथ गर्भगृह में राम लल्ला के विग्रह की स्थापना हो चुकी है। अधिवासों के साथ प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान प्रारंभ हो चुके हैं। 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले 6 दिन तक चलने वाले अन्य सभी कार्यक्रम 16 जनवरी को ही शुरू हो गए थे। गुरुवार अनुष्ठान का तीसरा दिन था। गुरुवार को हुए अनुष्ठान इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्यों कि राम लल्ला के विग्रह गर्भगृह में लाया गया है। इसके बाद तीर्थ पूजन, जलाधिवास और गंधादिवास अनुष्ठान हुए। इससे पहले बुधवार को रामलल्ला के विग्रह को गर्भगृह के मुख्य द्वार तक पहुंचाया गया था। राम मंदिर परिसर में जहां अनुष्ठान के यजमान अनिल मिश्रा यम-नियम व्रत का पालन कर रहे हैं तो वहीं पीएम मोदी धार्मिक स्थलों के दर्शन के पूजन जप और तप निरंतर कर रहे हैं। पीएम मोदी राज-काज के साथ राम-काज भी पूरी निष्ठा से कर रहे हैं। पीएम मोदी रात को कंबल बिछा कर सोते हैं और एक समय अति अल्प भोजन के साथ नारियल पानी पी कर समय व्यतीत कर रहे हैं।
जैसे-जैसे प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य अनुष्ठान की तिथि निकट आ रही है वैसे-वैसे अयोध्या धाम की दिव्यता और भव्यता भी बढ़ती जा रही है।
अधिवास प्रारंभ
गुरुवार को पूरे विधिविधान के साथ विग्रह के समक्ष दौरान गणेश पूजा, वरुण पूजा, मातृका पूजा, अंबिका पूजा, ब्राह्मण वरण और वास्तु पूजा जैसी 17 विशिष्ट पूजाएं की गईं। 19 जनवरी यानी शुक्रवार को औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास और शाम में तीर्थ पूजन, जल यात्रा, जलाधिवास और गंधाधिवास होगा। 20 जनवरी शनिवार को शर्कराधिवास, फलाधिवास और शाम में पुष्पाधिवास किया जाएगा। 21 जनवरी की सुबह मध्याधिवास और शाम में शय्याधिवास होगा।
आमतौर पर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में सात अधिवास होते हैं और न्यूनतम तीन अधिवास अभ्यास में होते हैं। राम लल्ला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा में सात अधिवास हो रहे हैं। सभी प्रक्रियाओं का समन्वय, समर्थन और मार्गदर्शन करने वाले 121 आचार्य कर रहे हैं। गणेशवर शास्त्री द्रविड़ सभी प्रक्रियाओं की निगरानी, समन्वय और दिशा-निर्देशन कर रहे हैं और काशी के लक्ष्मीकांत दीक्षित मुख्य आचार्य हैं। गर्भ-गृह में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पूरा होने के बाद, सभी साक्षी महानुभावों को राम लल्ला के दर्शन कराए जाएंगे। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए हर जगह उत्साह का भाव है। अयोध्या समेत पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाने का संकल्प किया गया है।
प्रतीकात्मक नगरदर्शन
शिल्पकार योगीराज द्वारा बनाए गए विग्रह का वजन ज्यादा होने के कारण नगर दर्शन कार्यक्रम में परिवर्तन किया गया और फिर धर्माधिकारियों के परामर्श से राम लल्ला के चांदी विग्रह को नगर दर्शन करवाया गया। नगर दर्शन की औपचारिकताएं पूरी होने के बाद मुख्य विग्रह को गर्भगृह के मुख्यद्वार तक पहुंचाया गया।
निर्मोही अखाड़ा के महंत ने की पूजा
बुधवार को निर्मोही अखाड़ा के महंत दिनेंद्र दास और पुजारी सुनील दास ने राम मंदिर के गर्भगृह में पूजा की। इसके बाद महिलाओं ने कलश यात्रा निकाली। इसके बाद मथुरा की सांसद हेमा मालिनी ने रामायण पर डांस परफॉर्मेंस भी दिया।
जय सियाराम से गूंज रहा है अयोध्या धाम
एक ओर मंदिर परिसर में वेदिक अनुष्ठान हो रहे और दूसरी ओर अयोध्या नगरी की गलियां जय सियाराम और सियापति रामचंद्र के जयकारों से गूंज रही हैं। अयोध्या धाम की साज-सज्जा स्वर्ग धरती पर उतर आने की अनुभूति हो रही है।
अयोध्या धाम इन दिनों त्रेता काल की अयोध्या नगरी जैसी लग रही है। सैकड़ो वेदिक ब्राह्मण शास्त्रीय परंपराओं का पालन करते हुए, प्राण-प्रतिष्ठा की औपचारिकताएं पूरी कर रहे हैं।प्राण प्रतिष्ठा के पूर्व शुभ संस्कारों का प्रारंभ 16 जनवरी से शुरू हुआ और 21 जनवरी तक चलेगा। विक्रम संवत 2080 पौष मास के शुक्ल पक्ष कूर्म द्वादशी के अभिजित मुहूर्त यानी 22 जनवर 2024 के प्रातः 11 बजकर 20 मिनट से 12 बजे के बीच विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा हो जाएगी।
देश भर में उत्सव, केंद्र सरकार ने आधे दिन की छुट्टी का किया ऐलान
रामनगरी अयोध्या सहित पूरा देश में उत्सव और आनंद का माहौल है। हो भी क्यों न आखिर करीब 500 वर्षों का इंतजार की घड़ी समाप्त हो चुकी है। रामलला को भव्य-दिव्य मंदिर में विराजित किया जा चुका है। प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान शुरु हो चुके हैं।
केंद्र सरकार ने देश भर के नागरिकों को राम लल्ला के भजन-पूजन के लिए 22 जनवरी को आधे दिन के अवकाश का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।
‘प्राण प्रतिष्ठा’ के दौरान राम लल्ला के नेत्रों पर पट्टी क्यों
राम मंदिर के गर्भगृह में भगवान राम की विग्रह के प्राण प्रतिष्ठा के दौरान जलाधिवास, गंधाधिवास, धान्य अधिवास जैसी कई अधिवास किए जाते हैं। इस दौरान विग्रह में भी तेज पुंज स्थापित हो जाता है। भगवान के नेत्रों का प्रकाश झेलपाना सामान्य मनुष्य के वश की बात नहीं हो सकती इसलिए अनुष्ठान शुरू होने से पूर्व नेत्रों में शहदांजन लगाकर वस्त्र बांध दिया जाता है।
प्राण प्रतिष्ठा संपूर्ण होने बाद विग्रह के नेत्रों से पट्टी उतारते ही आईना दिखाया जाता है। ताकि नेत्रों से जो तेज और ऊर्जा प्रकट हो वो आईने से प्रतिबिंबित होकर पुनः विग्रह में ही समा जाए। इस प्रक्रिया के मध्य यदि विग्रह को दिखाया गया आईना चटक जाता है तो उसे अत्यंत शुभ माना जाता है।
28 साल बाद अयोध्या लौटे नरेंद्र मोदी
भगवान राम तो 14 साल का वनवास काटकर अयोध्या वापस लौटे थे, लेकिन नरेंद्र मोदी को अयोध्या लौटने में पूरे 28 साल लगे। 5 अगस्त 2020 को राममंदिर निर्माण के लिए हुए भूमि पूजन से पहले, नरेंद्र मोदी 14 जनवरी 1992 को मकर संक्रांति के दिन अयोध्या आए थे। उस दिन उन्होंने संकल्प लिया था कि अब वो अयोध्या तभी आएंगे जब राम मंदिर निर्माण होगा। नियति का विधान ऐसा रहा कि नरेंद्र मोदी का संकल्प नरेंद्र मोदी के हाथों से ही राम मंदिर की आधारशिला रखी गई।
जानकी महल का कमरा नंबर 107 नरेंद्र मोदी का डेरा
14 जनवरी 1992 को अयोध्या आने पर नरेंद्र मोदी रामपथ के पास स्थित जानकी महल के कमरा नंबर 107 में ठहरे। इसके सामने 108 नंबर में मुरली मनोहर जोशी रुके थे। उन्होंने जानकी महल में ही भोजन किया था। उस समय कारसेवकपुरम नहीं बना था। ग्वालियर की राजमाता स्वर्गीया विजयाराजे सिंधिया और स्वर्गीय अशेाक सिंहल भी जानकी महल में ही ठहरते थे।
राम मंदिर अनुष्ठान पर जारी हुआ डाक टिकट
11 दिनों का विशेष अनुष्ठान कर रहे पीएम मोदी ने गुरुवार को राम मंदिर से जुड़े कार्यक्रमों की श्रृंखला में डाक टिकट जारी किया। उन्होंने श्रीराम पर जारी टिकटों की पुस्तक भी रिलीज की। तस्वीरों के खास संकलन में अयोध्या के राम मंदिर की बारीकियों को देखा-समझा जा सकेगा। श्री राम जन्मभूमि मंदिर पर स्मारक डाक टिकट और दुनिया भर में भगवान राम पर जारी टिकटों की यह पुस्तक डाक विभाग ने तैयार की है।
‘मंगल भवन अमंगल हारी’
एल्बम में राम मंदिर, तुलसीदास रचित रामचरितमानस की चौपाई- ‘मंगल भवन अमंगल हारी’, सूर्य, सरयू नदी और मंदिर और मूर्तियां शामिल हैं। पीएम मोदी ने कहा कि रामायण से हमें तमाम चुनौतियों के बावजूद प्रेम की जीत का संदेश और सीख पाने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा, यह पूरी मानवता को अपने साथ जोड़ता है। इसीलिए इसने पूरी दुनिया को अपनी तरफ आकर्षित किया है।
पंचतत्व के दर्शन
पीएम मोदी ने कहा कि यह राष्ट्र के मंगल की कामना है। सूर्यवंशी राम की छवियों से देश में नए प्रकाश का संदेश मिलता है। एल्बम में शामिल सरयू नदी की तस्वीर से सदा गतिशील रहने का संदेश मिलता है। पीएम मोदी ने कहा कि पंचतत्व के दर्शन का स्वरूप दर्शाने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट के साथ-साथ संतों ने भी डाक विभाग का मार्गदर्शन किया है।
विदेशी डाक टिकटों पर भगवान राम
प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान राम और माता सीता की बातें- देश, काल, जाति जैसी सीमाओं से परे है। रामायण से पूरी मानवता को खुद से जोड़ने का संदेश देती है। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि रामायण पूरी दुनिया में आकर्षण और उत्साह का विषय रही है। पूरे विश्व में भगवान राम और माता सीता के साथ-साथ रामायण को गौरव के साथ देखा जाता है। अमेरिका, सिंगापुर, गयाना, फिजी जैसे कई देशों ने सम्मान और आत्मीयता से पोस्टल स्टांप जारी किए हैं।
भगवान राम का प्रभाव
राम मंदिर के अलावा भगवान गणेश, भगवान हनुमान, जटायु, केवटराज और माता शबरी पर डाक टिकट जारी हुए हैं। कुल छह टिकटों के अलावा पूरे एल्बम में अमेरिका, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, कनाडा, कंबोडिया और संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठनों सहित 20 से अधिक देशों की तरफ से जारी डाक टिकटों को भी संकलित किया गया है। 48 पन्नों की इस पुस्तक के माध्यम से समाज के अलग-अलग वर्गों पर भगवान राम की वैश्विक छवि और उनके प्रभाव को प्रदर्शित करने का प्रयास किया गया है।
तपस्वियों का जीवन जी रहे पीएम मोदी
‘प्राण प्रतिष्ठा’ अनुष्ठान के मुख्य यजमान पीएम मोदी कठोर तप कर रहे हैं। वो लौकिक राज-काज यानी सरकारी काम-काज के साथ-साथ धार्मिक यज्ञ अनुष्ठान, मंत्र जाप और उपवास भी कर रहे हैं। पीएम मोदी धार्मिक स्थलों के दर्शन कर रहे तो उनकी सुरक्षा कर रहे एसपीजी के कमांडो भी ब्रह्मचारियों की वेश-भूषा में दिखाई दे रहे हैं। पीएम मोदी के कमाण्डो भी सफेद धोती और अंगवस्त्र पहन रहे हैं। पीएम मोदी सिर्फ नारियल पानी ही ले रहे हैं।