दिल्ली की तीस हज़ारी अदालत ने बुधवार को दिल्ली सरकार के निलंबित अधिकारी प्रेमोदय खाखा और उनकी पत्नी सीमा रानी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। दिल्ली पुलिस ने दोनों आरोपियों को एक दिन की न्यायिक हिरासत के बाद अदालत में पेश किया था।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने प्रेमोदय की नसबंदी से संबंधित मेडिकल बोर्ड की जांच रिपोर्ट तलब की है।
आरोपियों के वकील यूएस गौतम ने मीडिया को बताया कि कोर्ट ने खाखा की नसबंदी से संबंधित मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने अदालत को बताया कि वह 2005 में इस प्रक्रिया से गुजरे थे।
अपने दोस्त की नाबालिग बेटी का कथित तौर पर कई महीनों तक यौन उत्पीड़न कर उसे गर्भवती करने वाले खाखा को कोर्ट ने मंगलवार को जेल भेज दिया था।
अदालत की कार्यवाही के बाद अधिकारी और उनकी पत्नी की ओर से वकील उमा शंकर गौतम ने मीडिया से बातचीत की और कहा कि पीड़िता की गर्भावस्था के संबंध में प्रेमोदय खाखा के खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार हैं।
उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे हैं क्योंकि आरोपी ने नसबंदी कराई थी और पोटेंसी टेस्ट समेत बाकी सभी टेस्ट भी पुलिस ने गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर पूरे कर लिए थे। मामले में दिल्ली पुलिस ने सोमवार को खाखा और उसकी पत्नी को गिरफ्तार कर लिया था।
इससे पहले सोमवार को पुलिस उपायुक्त (उत्तर) सागर सिंह खालसी ने कहा कि खाखा की पत्नी ने पीड़िता को धमकी दी और नाबालिग पीड़िता का गर्भपात कराया।
दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि आरोपी की पत्नी को कल पेश किया गया और अदालत ने उसे एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। उनकी गिरफ्तारी के बाद, दिल्ली सरकार ने खाखा को निलंबित कर दिया,
जो दिल्ली सरकार में महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) के उप निदेशक के रूप में कार्यरत थे।
दिल्ली पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ बलात्कार, छेड़छाड़, आपराधिक धमकी, आपराधिक साजिश, चोट पहुंचाना, सहमति के बिना गर्भपात करना, आपराधिक साजिश, सामान्य इरादे और पॉक्सो एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की है।