दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने मानसिक रूप से कमजोर एक रेप पीड़िता और उसकी मां को जांच के लिए थाने बुलाने पर सख्त रुख अख्तियार किया है। कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली पुलिस से इस मामले में रिपोर्ट तलब की है। बताया जाता है कि यह मामला मामला वेलकम थाने का है।
दरअसल, पीड़िता की मां ने वाकी एनके सिंह के माध्यम से कोर्ट में दरख्वास्त लगाई थी कि सीआरपीसी की धारा 161 बयान दर्ज कराने के नाम पर पुलिस उन्हें प्रताड़ित करती है। जब कि सीआरपीसी की धारा 160 में साफ लिखा हुआ है कि महिलाओं से थाने में नहीं बल्कि उनके आवास पर पूछताछ की जाएगी। लेकिन दिल्ली पुलिस ने प्रथा बना ली है कि आईओ महिलाओं को पुलिस स्टेशन में बुला कर बयान दर्ज करते हैं। नियमानुसरा यह धारा 166/166-ए/188 आईपीसी के तहत अपराध है।
कड़कड़डूमा कोर्ट की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) से इस मामले में सात जून को रिपोर्ट मांगी है।
कोर्ट को दी गई दरख्वास्त में रेप पीड़िता की मां ने कहा है कि उसकी बेटी का अपहरण कर लिया गया था और उसे गाजियाबाद के लोनी ले जाया गया था। कुछ लोगों ने कथित तौर पर उसके साथ बलात्कार किया और उसके साथ अप्राकृतिक यौनाचार किया। शिकायत पर पुलिस ने पीड़िता को ढूंढ निकाला और उसकी मां के पास ले गई।
रेप पीड़िता की मां का आरोप है कि मामला वेलकम थाना में दर्ज कराया गया है। आईओ महिला एसआई ने कई मौकों पर आवेदक और उसकी बेटी को थाने बुलाया।
आरोप है कि दोनों को थाने में बैठा दिया और मां को पीटा। शिकायत के बाद दूसरे आईओ की प्रतिनियुक्ति की गई। नए आईओ भी ने मां-बेटी को थाने बुलाया।
अधिवक्ता एन के सिंह भदौरिया ने तर्क दिया कि धारा 160 सीआरपीसी के अनुसार किसी महिला को थाने में नहीं बुलाया जा सकता है। जांच करने के लिए आईओ उनके आवास पर जाएंगे।
इसी दलील पर एमएम कड़कड़डूमा ने दिल्ली पुलिस को तलब कर लिया है।