ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष के वकील ने कहा कि वाराणसी की एक अदालत ने मस्जिद के एक तहखाने में हाल ही में पूजा की अनुमति देने के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद समिति की याचिका पर सुनवाई के लिए गुरुवार को 28 फरवरी की तारीख तय की है।
वाराणसी जिला अदालत ने 31 जनवरी को फैसला सुनाया था कि एक पुजारी ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में मूर्तियों के समक्ष प्रार्थना शुरु कर सकते हैं। इस फैसले के खिलाफ मस्जिद समिति ने फैसले को चुनौती देते हुए अदालत का रुख किया था।
दरअसल, 1993 में तत्कालीन समाजवादी पार्टी के मुखिया और उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को मौखिक आदेश पर व्यास जी के तहखाने में सदियों से चली आरही पूजा-प्रार्थना को जबरन बंद करवा दिया था। लगभग 30 साल के बाद हिंदुओं की अर्जी को वैध मानते हुए जिला अदालत ने पूजा की अनुमति दे दी। इसके साथ ही विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को जिम्मेदारी सौंपी कि वो पुजारी का चयन कर पूजा शुरु करवाए।
हिंदुओं को फिर से पूजा करने का अधिकार मिल जाने से पूरे काशी शहर में खुशी की लहर दौड़ पड़ी थी लेकिन मुस्लिम समाज ने इसका तीखा विरोध किया। हालांकि पुलिस-प्रशासन ने सुरक्षाबलों की तैनाती के साथ ही ऐसे इंतजाम किए हैं जिससे हिंदू श्रद्धालु और मुस्लिम नमाजी कभी आमने-सामने न पड़ सकें। इसके बावजूद शुक्रवार नमाज के दौरान मस्जिद में तनाव की स्थिति बन जाती है।
बहरहाल, अधिवक्ता एम एम यादव ने बताया कि अपर जिला जज अनिल कुमार ने सुनवाई के लिए 28 फरवरी की तारीख तय की है। मस्जिद समिति ने जिला अदालत के फैसले के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक याचिका भी दायर की है, जिस पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।