दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने 44 वर्षीय एक व्यक्ति को अपनी नाबालिग बेटी के साथ बलात्कार करने और उसे गर्भवती करने के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है, कोर्ट ने कहा कि यह एक “शैतानी अपराध” है। ऐसे शैतान के साथ कोई नरमी नहीं बरती जा सकती।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बबीता पुनिया ने कहा, “अपराध शैतानी प्रकृति का है। सबसे महत्वपूर्ण और तथ्य यह है कि पीड़िता आरोपी की बेटी है। उसकी देखभाल और सुरक्षा की
जिम्मेदारी आरोपी पिता की। उसने सुरक्षा करने के बजाए घिनौना कृत्य किया है। इसलिए कठोर दण्ड के योग्य है।
दोषी के वकील ने दलील दी थी कि वह अपने परिवार का एकमात्र कमाने वाला है, जिसमें बुजुर्ग माता-पिता, उसकी पत्नी और चार बच्चे शामिल हैं। उन्होंने यह भी कहा कि शराब के नशे में होने के कारण वह यह नहीं समझ पाया कि पीड़िता उसकी पत्नी है या बेटी। कोर्ट ने कहा- “मैं दोषी की सजा कम करने के तर्क से प्रभावित नहीं हूं। मैं ऐसे पिता की कल्पना नहीं कर सकती जो अपनी पत्नी और नाबालिग बेटी के बीच अंतर नहीं कर सकता। उसने यह घिनौना कृत्य एक बार नहीं किया गया था, बल्कि उसने अपनी ही नाबालिग बेटी के साथ बार-बार बलात्कार किया है। ।
अदालत ने दोषी के खिलाफ कई गंभीर कारकों पर गौर किया, जिसमें यह भी शामिल है कि उसने अपनी नाबालिग बेटी के साथ बार-बार बलात्कार किया, जिसके बाद पीड़िता गर्भवती हो गई और पिछले साल फरवरी में उसने बच्चे को जन्म दिया।
अदालत ने कहा, अपने पिता के बच्चे को जन्म देने के समय लड़की 17 साल की थी। आगे उल्लेख किया गया है कि मुकदमे के दौरान, दोषी ने अपनी बेटी को एक पत्र लिखकर उसे भावनात्मक रूप से परेशान करने का प्रयास किया था। ” न्यायाधीश ने कहा, “मैं इस निष्कर्ष पर पहुंची हूं कि ऐसी कोई भी परिस्थिति नहीं है जिस आरोपी की सजा को कम करने के लिए विचार किया जा सके।