माफिया सरगना मुख्तार अंसारी को असलहा लाइसेंस में धोखाधड़ी के मामले में वाराणासी की एमपी-एमएलए कोर्ट ने दोषी करार दिया है। अदालत बुधवार को सजा का ऐलान कर सकती है। यह मामला 36 साल पुराने बंदूक के फर्जी लाइसेंस से जुड़ा मामला है। मुख्तार अंसारी ने डीएम और एसपी के फर्जी हस्ताक्षर कर खुद ही लाइसेंस जारी कर दिया था। बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी कोर्ट प्रोसीडिंग्स में शामिल हुआ और खड़े होकर दोषी करार दिए जाने की कार्यवाही देखता रहा।
एमपी-एमएलए कोर्ट के जज अवनीश कुमार गौतम की कोर्ट में पिछली सुनवाई 27 फरवरी को हुई थी जिसमें दोनों पक्षों की ओर से बहस पूरी हो गई थी। कोर्ट ने तब 12 मार्च को फैसला सुनाना तय किया था, लेकिन आज कोर्ट ने मुख्तार को दोषी तो करार दिया लेकिन सजा के लिए अपना फैसला 13 मार्च के लिए टाल दिया है।
दरअसल, 4 दिसंबर 1990 को मुहम्मदाबाद थाने में मुख्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत 5 नामजद और अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कराया था। सुनवाई के दौरान गौरीशंकर श्रीवास्तव का निधन हो गया था और इस मामले में पूर्व चीफ सेक्रेटरी आलोक रंजन और पूर्व डीजीपी देवराज नागर ने भी बयान दर्ज कराए थे।
जांच के बाद तत्कालीन आयुध लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्तव और मुख्तार अंसारी के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई थी। इस केस में 10 लोगों की गवाही हुई थी। मुख्तार अंसारी पर 10 जून 1987 को फर्जी डाक्यूमेंट्स के आधार पर दोनाली बन्दूक का लाइसेंस लेने का था आरोप है।