सुप्रीम कोर्ट से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए राहत भरी खबर है। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट में केंद्रीय मंत्री सिधिया के राज्यसभा चुनाव के नामांकन पत्र में जानकारी छिपाने का आरोप लगाते हुए याचिका डाली गई थी।
जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया पर लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी छिपाने का आरोप लगाते हुए उनके नामांकन को चुनौती दी गई थी। हालांकि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ओर से खारिज कर दी गई थी।
यह याचिका कांग्रेस नेता गोविंद सिंह ने दायर की थी। उन्होंने सिंधिया पर आरोप लगाया था कि सिंधिया ने अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी छिपाकर राज्यसभा चुनाव लड़ा, इसलिए उनका निर्वाचन निरस्त कर नए सिरे से चुनाव कराया जाना चाहिए। याचिका में इस बात पर जोर दिया गया था कि सिंधिया ने राज्यसभा चुनाव के नियमों का उल्लंघन किया है। नियमानुसार नामांकन पत्र में आपराधिक मामलों की भी जानकारी दी जानी चाहिए थी लेकिन छिपा ली गई। इसलिए निर्वाचन शून्य कर दिया जाना चाहिए।
चुनाव याचिका में कहा गया था कि वर्ष 2018 में भोपाल के श्यामला हिल्स थाने में पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई थी। जिसे सिंधिया ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार भी किया था। अब वह कांग्रेस में नहीं हैं और भाजपा से राज्यसभा सदस्य चुने गए हैं। राज्यसभा के लिए प्रस्तुत अपने नामांकन पत्र में सिंधिया ने उक्त मामले की जानकारी न पेश कर उसे छुपाया। यह निर्वाचन आयोग के नियमों का उल्लंघन है। सूबे में बीते राज्यसभा चुनाव में भाजपा को दो और कांग्रेस को एक सीट हासिल हुई थी। भाजपा की ओर से ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुमेरसिंह सोलंकी जबकि कांग्रेस से दिग्विजय सिंह विजयी घोषित किए गए थे।