मध्यप्रदेश के इंदौर की एक विशेष सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) अदालत ने बुधवार को व्यापमं मामले (जिसे अब मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन बोर्ड (एमपीईएसबी)
के रूप में जाना जाता है) में दो आरोपियों को अधिकतम पांच साल की कैद की सजा सुनाई है।
संजय कुमार गुप्ता की विशेष अदालत ने वासुदेव पाठक को आईपीसी की धारा 120बी, 419, 420, 467, 468, 471 और मध्य प्रदेश मान्यता प्राप्त शिक्षा (एमपीआरई) अधिनियम की धारा 3/4 के तहत दोषी ठहराया। जबकि दूसरे हरेंद्र सिंह को आईपीसी की धारा 419 आर/डब्ल्यू 120-बी, 420 आर/डब्ल्यू 120-बी, 467 आर/डब्ल्यू 120-बी, 468 आर/डब्ल्यू 120-बी, 471 आर/डब्ल्यू 120-बी और धारा के तहत दोषी ठहराया गया। एमपीआरई अधिनियम का 3/4. अदालत ने क्रमशः 14,000 रुपये और 12,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।
सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक रंजन शर्मा ने मिडिया को बताया, ‘2013 में शाजापुर में आयोजित पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के दौरान आरोपी वासुदेव पाठक को आरोपी हरेंद्र सिंह के स्थान पर परीक्षा देते हुए पकड़ा गया था। शाजापुर पुलिस ने दोनों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर अदालत में आरोप पत्र पेश किया था.”
शर्मा ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक मामला सीबीआई तक पहुंचा और आगे की जांच के बाद सीबीआई ने 30 लोगों की अदालत में गवाही कराई।
विशेष न्यायाधीश सीबीआई संजय कुमार गुप्ता ने दोनों आरोपियों को दोषी पाया और अधिकतम पांच साल कैद की सजा सुनाई। उन्होंने बताया कि दोनों आरोपी उत्तर प्रदेश के मथुरा के रहने वाले हैं और उन्हें जेल भेज दिया गया है।