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सूरत जिला अदालत ने राहुल गांधी को सुनाई दो साल कैद की सजा, क्या रद्द होगी लोक सभा की सदस्यता?

Rahul Gandhi- Surat

कांग्रेस नेता राहुल गांधी को उनकी कथित ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ दायर 2019 के आपराधिक मानहानि के मामले में सूरत जिला अदालत ने दोषी ठहराते हुए दो साल की जेल की सजा का ऐलान कर दिया। संवैधानिक प्राविधानों के मुताबिक यदि किसी सांसद को न्यायालय से सजा का ऐलान होते ही निर्वाचन आयोग उस सदस्य की सदस्यता को रद्द कर सकता है। ऐसे में अब यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या राहुल की वायनाड से लोकसभा सदस्यता रद्द हो जाएगी, और क्या 2024 के आम चुनाव से पहले वायनाड लोकसभा सीट पर उप चुनाव होगा। लेकिन कहा जा रहा है कि कोर्ट ने अपने आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करने के लिए राहुल गांधी को 30 दिन का समय दिया है तो फिल्हाल सदस्यता पर संकट नहीं माना जाएगा।

दरअसल, 13 अप्रैल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में एक रैली में राहुल गांधी ने मोदी ‘उपनाम’ पर कथित टिप्पणी की थी। इस टिप्पणी पर भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने न्यायालय में राहुल गांधी के खिलाफ मुकदमा किया था। गुजरात की सूरत जिला अदालत ने सुनवाई पूरी करने के बाद 23 मार्च यानी आज का दिन फैसला सुनाने के लिए तय किया था।

सूरत कोर्ट की ओर से सजा का ऐलान होने के बाद राहुल गांधी अब बीजेपी के निशाने पर आ गए हैं। बीते दिनों कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में अपनी विवादित टिप्पणी पर घिरे कांग्रेस सांसद के लिए ये बड़ा झटका कहा जा सकता है। वहीं, सजा मिलने के बाद बीजेपी नेता अश्विनी चौबे ने कहा कि राहुल गांधी कोर्ट के कटघरे में हैं, वे लोकतंत्र के कटघरे में भी हैं। इस मंदिर में आकर माफी मांगने की भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।

2019 के लोकसभा चुनाव में कर्नाटक के कोलार में एक रैली के दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि आखिर सभी चोरों के सरनेम मोदी ही क्यों होते हैं? इस टिप्पणी पर काफी बवाल मचा था। जिसके बाद बीजेपी विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि मामला दर्ज करवाया था।

पूर्णेश मोदी के वकील ने दलील देते हुए कहा कि राहुल गांधी के भाषण की सीडी साबित करते हैं कि उन्होंने रैली में टिप्पणी की थी। जिस पर राहुल गांधी के वकील ने तर्क दिया कि कार्यवाही शुरू से ही त्रुटिपूर्ण थी, क्योंकि सीआरपीसी की धारा 202 के तहत कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, न कि पूर्णेश मोदी को इस मामले में एक पीड़ित पक्ष के रूप में शिकायतकर्ता होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के अधिकांश भाषणों में प्रधान मंत्री को लक्षित किया गया था।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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