यासीन मलिक फांसी दिए जाने की मांग वाली एनआईए की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने यासीन मलिक को नोटिस जारी किया है। हालांकि एनआईए के वकील तुषार मेहता ने हाईकोर्ट के इस आदेश का यह कह कर विरोध किया कि अगर ओसामा बिन लादेन पर मुकदमा चलाया जाता तो उसे भी अपना गुनाह कबूलने की इजाजत मिल जाती! तुषार मेहता के इस तर्क पर जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल ने कहा कि हम इसकी तुलना ओसामा बिन लादेन से नहीं कर सकते क्योंकि उसने कहीं भी मुकदमे का सामना नहीं किया। हाईकोर्ट ने निचली अदालत में चले मुकदमे की कार्रवाई का रिकॉर्ड भी तलब किया है।
एनआईए की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस मृदुल सिन्हा और जस्टिस तलबंत सिंह की पीठन ने कहा कि यासीन मलिक को अपना जवाब दाखिल करने के साथ खुद हाईकोर्ट में पेश होना होगा जिसके लिए प्रोडक्शन वारंट तिहाड़ जेल प्रशासन के जरिए उसे सुनवाई के दौरान मौजूद कराने का निर्देश दिया गया है।
इससे पहले एनआईए की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा मलिक वायुसेना के चार जवानों की हत्या में शामिल रहा। उसके सहयोगियों ने तत्कालीन गृह मंत्री की रुबिया सईद का अपहरण किया। उसके बाद उसके अपहरणकर्ताओं को छोड़ा गया जिन्होंने बाद में मुंबई बम ब्लास्ट को अंजाम दिया। तुषार मेहता ने आगे तर्क रखा कि IPC की धारा 121 के तहत दर्ज मामला देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने का बनता है, जिसमे फांसी की सज़ा का प्रावधान है।
इस पर कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि निचली अदालतके आदेश में 4 वायु सेना के अधिकारियों की हत्या का जिक्र कहाँ है ! इसमे तो पत्थरबाजी में शमिल होने की बात कहीं गई है। इसके अलावा दिल्ली हाई कोर्ट ने एनआईए से पूछा कि ट्रायल कोर्ट का वह ऑर्डर बतायें जिसमें यासीन ने किस किस चार्ज पर गुनाह स्वीकार किया है।
इसके बाद कोर्ट ने दोपहर सवा बारह बजे तक के लिए कोर्ट स्थगित कर दी। जब दोबार सुनवाई हुई तो सॉलिसिटर जनरल और कोर्ट के बीच फिर तर्क हुए। अंत में कोर्ट ने यासीन मलिक को प्रोड्यूस करने के नोटिस जारी कर दिए और मामले की सुनवाई की तारीख 9 अगस्त तय की है।