राउज एवेन्यू कोर्ट ने शनिवार को पूर्व विधायक रामबीर शौकीन को अदालत में पेश न होने पर 4 महीने की सजा सुनाई और उन पर 15000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।
शौकीन को अदालत में पेश न होने की वजह से सजा सुनाई गई, हालांकि मकोका मामले में उन्हें नीरज बवानिया और अन्य के साथ आरोपी बनाया गया था।
मकोका मामले में सभी को बरी कर दिया गया।विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने शौकीन को आईपीसी की धारा 174 ए के तहत चार महीने की सजा सुनाई और 15000 रुपये का जुर्माना लगाया।वकील समक्ष शर्मा, रामबीर शौकीन की तरफ से पेश हुए थे, उनकी दलीलों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने रामबीर को केवल चार महीने की सजा सुनाई है।
23 अगस्त को राउज एवेन्यू कोर्ट ने आठ साल पहले सख्त महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत दर्ज मामले में जेल में बंद गैंगस्टर नीरज सहरावत उर्फ नीरज बवानिया, उसके भाई पंकज सहरावत, उसके मामा पूर्व विधायक रामबीर शौकीन और अन्य आरोपियों को बरी कर दिया था। यह मामला दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 2015 में दर्ज किया था
हालाँकि, अदालत ने शौकीन को अदालत में उपस्थित नहीं होने के लिए दोषी ठहराया था।
विशेष एमपी-एमएलए अदालत की न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने बुधवार को आरोपी पंकज शेरावत, नीरज सहरावत उर्फ नीरज बवानिया, नवीन डबास उर्फ बाली और राहुल डबास उर्फ काला को बरी कर दिया और कहा कि उन्हें मकोका की धारा 3 के तहत अपराध से बरी किया जाता है।
आरोपी रामबीर शौकीन को मकोका की धारा 3 (2), 3 (3), 3 (5) और धारा 4 के तहत अपराध के लिए बरी कर दिया गया है और आईपीसी की धारा 174-ए (अदालत में उपस्थित न होना) के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है।
अदालत ने बरी किए गए आरोपी को सीआरपीसी की धारा 437-ए के तहत जमानत बांड भरने का निर्देश दिया।
वहीं चार महीने की सजा के बाद अब रामबीर शौकीन के चुनाव लड़ने का रास्ता भी साफ हो गया है। वकील समक्ष शर्मा के मुताबिक रामबीर को केवल चार महीने की सजा सुनाई गई है। ऐसे में वो चुनाव लड़ने के लिए योग्य है क्योंकि जनप्रतिनिधि कानून के तहत 2 साल या उससे ज्यादा की सजा पर व्यक्ति सज़ा की अवधि और 6 सालों तक चुनाव लड़ने से अयोग्य हो जाता है।