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उपहार त्रासदी: नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज ‘ट्रायल बाय फायर’ की रिलीज़ पर रोक नही: रिलीज को दिल्ली हाई कोर्ट की हरी झंडी

Trial by fire

उपहार त्रासदी पर बनी नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज ‘ट्रायल बाय फायर’ की रिलीज पर रोक लगाने से दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को इनकार कर दिया है।कोर्ट ने सुशील अंसल की वेबसिरीज की रिलीज़ पर रोक की मांग वाली याचीका को ख़ारिज कर दिया है। इसका मतलब है कि 13 जनवरी को नेटफ्लिक्स पर उपहार त्रासदी पर बनी वेबसिरीज रिलीज़ होगी।
दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को सभी पक्षों को सुनने के बाद फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था। मामले की सुनवाई के दौरान सुशील अंसल की तरफ से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि 1997 में घटना हुई थी जिसमें सुशील अंसल को सज़ा हुई थी और जेल जाना पड़ा था,  कोर्ट के देश को चुनौती दी गई है जिसपर सुनवाई लंबित है।अंसल के वकील ने कहा कि किताब के उस भाग को देखिए जिसपर फ़िल्म बनाई गई है।हाई कोर्ट ने कहा कि 2015 में किताब पब्लिश हुई थी और अब आप राहत की मांग कर रहे हैं?

अंसल के वकील ने कहा कि वेबसीरीज़ में कहा गया कि इसके लिए कभी माफी भी नहीं मांगी जबकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगी थी।अंसल ने कहा प्रथम दृष्टया में फ़िल्म में मेरा गलत चित्रण किया गया है।वही नेटफ्लिक्स के वकील ने कहा कि पूरी वेब सिरीज़ 2016 में आई किताब के ऊपर आधारित है, किताब के कॉंसेप्ट पर फ़िल्म बनाई गई है, सब चीज़ पब्लिक डोमेन में है, 19 सितंबर 2016 को किताब रिलीज़ हुई थी, 18 दिसंबर 2020 को फ़िल्म बनाने की घोषणा हुई, 8 नवंबर 2021 को मामले में सज़ा का ऐलान हुआ था।

नेटफ्लिक्स के वकील ने कहा कि 14 दिसंबर 2022 को हमने घोषणा किया था 13 जनवरी 2023 को वेब सीरीज़ रिलीज़ की जाएगी, लेकिन रिलीज़ से पहले अंतिम समय में इसपर रोक लगाने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की गई।नेटफ्लिक्स के वकील ने कहा कि 4 जनवरी को ट्रेलर जारी किया गया उसके बाद भी इसको लेकर कोर्ट का रुख नहीं किया गया, 10 जनवरी को कोर्ट में याचिका दाखिल की गई।

दरअसल उपहार सिनेमा हादसे पर आधारित एक वेब सीरीज नेटफ्लिक्स बना रहा हैं।’ट्रायल बाय फायर’ नाम यह वेब सीरीज 13 जनवरी को OTT प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हो रही है।

सुशील अंसल ने अपनी याचीका में कहा है कि उपहार सिनेमा त्रासदी को लेकर बनाई गई इस वेब सीरीज के प्रसारित होने से उनकी प्रतिष्ठा को और भी नुकसान होगा। जबकि उस त्रासदी के लिए वह कानूनी और सामाजिक रूप से दंडित किया गया है।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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