मध्य प्रदेश की इंदौर कोर्ट ने 19 साल पुराने मेघदूत गार्डन घोटाला मामले में बुधवार को तीन पूर्व पार्षदों सूरज केरो, राजेंद्र सोनी और कैलाश यादव समेत नौ लोगों को दोषी करार दिया है। विशेष न्यायाधीश लोकायुक्त संजय कुमार गुप्ता की अदालत ने आईपीसी की धारा 471 (जाली दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को असली के रूप में इस्तेमाल करना), 466 (न्यायालय के रिकॉर्ड या सार्वजनिक रजिस्टर आदि की जालसाजी), 218 (लोक सेवक को फंसाना) के तहत नौ लोगों को दोषी ठहराया है। किसी व्यक्ति को सजा या संपत्ति को जब्ती से बचाने के इरादे से गलत रिकॉर्ड या लेखन), और 120 बी (आपराधिक साजिश की सजा) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13 (1) डी, 13 (2), तीन साल के लिए कठोर कारावास व प्रत्येक पर पांच-पांच हजार रुपये अर्थदंड लगाया।
अन्य दोषियों में इंदौर नगर निगम (IMC) के तत्कालीन सहायक वास्तुकार सुरेश कुमार जैन, तत्कालीन उद्यान अधीक्षक अमानुल्लाह खान, तत्कालीन वरिष्ठ लेखा परीक्षक विद्या निधि श्रीवास्तव, तत्कालीन सहायक निदेशक ऋषि प्रसाद गौतम, तत्कालीन मुख्य अभियंता जगदीश डागांवकर और ठेकेदार केशव पंडित है। फरवरी 2003 में एक कांग्रेसी नेता और इंदौर नगर निगम (IMC) के तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष छोटू शुक्ला ने धन की हेराफेरी के आरोप के खिलाफ लोकायुक्त को शिकायत दर्ज कराई।
शिकायत में शुक्ला ने आरोप लगाया कि मेघदूत उद्यान के विभिन्न विकास कार्यों के लिए 2.5 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बिना सरकार की मंजूरी के बनाया गया था और जमीन पर वास्तविक काम किए बिना पैसा वापस ले लिया गया।मामले की जांच के दौरान लोकायुक्त को पता चला कि आरोपितों ने बगीचे के जीर्णोद्धार के नाम पर नगर निगम से 33.60 लाख रुपये की ठगी की है। उसके बाद लोकायुक्त ने उक्त अभियुक्तों के विरुद्ध आरोप पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया। जिसके बाद मंगलवार को विशेष न्यायाधीश गुप्ता ने सभी आरोपियों को तीन-तीन साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई और प्रत्येक पर पांच-पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।