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28 को जून को CJI चंद्रचूड़ करेंगे J&K Ladakh हाईकोर्ट के नए भवन का शिलान्यास

J&K High Court

जम्मू-कश्मीर सरकार ने हाईकोर्ट के भवन को जम्मू के जानीपुर इलाके से हटाकर सिद्दड़ा के रैका जंगल में बनाने का फैसला लिया है। हाईकोर्ट की जम्मू विंग के लिए 938 करोड़ की अनुमानित राशि से तैयार किए जा रहे इस कांप्लेक्स का 28 जून को मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ शिलान्यास करेंगे।

यह नया अदालत परिसर देश के सर्वश्रेष्ठ उच्च न्यायालयों में से एक होगा। इसमें 35 कोर्ट रूम होंगे, जिसे बाद में 70 कोर्ट रूम तक बढ़ाया जा सकता है। मुख्य न्यायाधीश के जम्मू-कश्मीर दौरे को सफल बनाने के लिए रजिस्ट्रार जनरल हाईकोर्ट और प्रधान सचिव मुख्य न्यायाधीश ने कई कमेटियां बनाई हैं, जो चौबीसों घंटे काम में जुटी हैं।

इसे जम्मू-कश्मीर में न्यायिक ढांचे में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में एक संयुक्त उच्च न्यायालय और दो पीठ हैं। एक श्रीनगर में और दूसरी जम्मू में है। जम्मू पीठ 1990 के दशक तक जम्मू के मुबारक मंडी परिसर में स्थित थी।

वर्ष 1994 में हाईकोर्ट परिसर को यहां से जानीपुर में स्थानांतरित कर दिया गया। यहां पर उच्च न्यायालय, जिला परिसर, महाधिवक्ता कार्यालय, न्यायिक अकादमी और रजिस्ट्रार कार्यालय भी स्थित हैं। अब रैका में कोर्ट कांप्लेक्स को पर्यावरण के अनुकूल बनाया जाएगा।

इसे प्रसिद्ध वास्तुकार गुनीत सिंह चौहान ने डिजाइन किया है, जिन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय, मेट्रो स्टेशनों और मॉल सहित कई उच्च न्यायालयों को डिजाइन किया है। इसके निर्माण की निगरानी जम्मू-कश्मीर परियोजना निर्माण निगम और लोक निर्माण विभाग के माध्यम से उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों द्वारा की जाएगी।

न्यायालय परिसर तीन सभागार, एक प्रशासनिक ब्लॉक, एक मध्यस्थता केंद्र, एक चिकित्सा केंद्र, कंप्यूटर केंद्र, न्यायाधीशों का पुस्तकालय, एक हजार वकीलों के लिए कक्ष, न्यायिक अकादमी, सम्मेलन सुविधाएं, एक हेलीपैड, एक फायर स्टेशन, परिवहन सुविधा केंद्र आदि से सुसज्जित होगा।

इसके अलावा जजों और वकीलों के लिए खेल, जिम व योग केंद्र की सुविधाएं भी होंगी। परियोजना को डेढ़ साल में पूरा करने का लक्ष्य है। वन्य जीव एवं वन विभाग से सभी एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) पहले ही मिल चुकी हैं।

जिस जगह पर यह कोर्ट कांप्लेक्स बनाया जाना है, वहां जंगल है, इसे लेकर मामला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में गया था। जहां हाईकोर्ट ने वाजिब जवाब दाखिल किया, जिसके बाद फैसला पक्ष में आया।

 

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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