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‘सरकार और न्यायपालिका में महाभारत तो नहीं लेकिन जनता जज कर रही है कि कोर्ट में फैसले कैसे दिए जारहे हैं’

collegium, Kiren Rijiju

कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने सोमवार को कहा कि सरकार और न्यायपालिका में महाभारत जैसी कुछ भी चीज नहीं है। हम लोग लगातार मीटिंग कर रहे हैं। डेमोक्रेसी में डिबेट तो होता रहना चाहिए। केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि भले ही न्यायाधीशों को किसी इलेक्शन या सार्वजनिक जांच का सामना नहीं करना पड़ता है, लेकिन फिर भी आप जनता की नजर में हैं। लोग आपको देख रहे हैं। आप जो जजमेंट देते हैं, आप कैसे काम करते हैं.. सोशल मीडिया के इस युग में आप कुछ भी नहीं छिपा सकते।” किरेन रिजिजू दिल्ली बार एसोसिएशन के कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

रिजिजू ने कहा, “जज बनने के बाद, उन्हें चुनाव या जनता की निगरानी का सामना नहीं करना पड़ता है। जजों, उनके फैसलों और जिस तरह से वे न्याय देते हैं, और अपना आकलन करते हैं, जनता उसे देख रही है।” रिजिजू ने कहा कि 1947 के बाद से कई बदलाव हुए हैं, इसलिए यह सोचना गलत होगा कि मौजूदा व्यवस्था जारी रहेगी और इस पर कभी सवाल नहीं उठाया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह बदलती स्थिति है जो आवश्यकता को निर्धारित करती है और यही कारण है कि संविधान को सौ से अधिक बार संशोधित करना पड़ा।

लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करने वाली विधायिका को सर्वोच्च बताते हुए रिजिजू ने कहा कि सरकार न्यायाधीशों की नियुक्ति में एक बड़ी भूमिका की मांग कर रही है।

किरेन रिजिजू ने कहा, “मैंने सीजेआई को एक पत्र लिखा, जिसके बारे में किसी को नहीं पता था। पता नहीं किसे कहां से पता चला और खबर बना दी कि कानून मंत्री ने सीजेआई को पत्र लिखा कि कॉलेजियम में सरकार का प्रतिनिधि होना चाहिए। इस बात का कोई सर पैर नहीं। मैं कहां से उस प्रणाली में एक और व्यक्ति डाल दूंगा।”

दिल्ली बार एसोसिएशन के एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, “भारत में लोकतंत्र सिर्फ जीवित ही नहीं बल्कि मजबूती से आगे चले उसके लिए एक मजबूत और आजाद न्यायपालिका का होना जरूरी है। न्यायपालिका की आजादी को कमजोर या उसके अधिकार, सम्मान और गरिमा को कम करेंगे तो लोकतंत्र सफल नहीं होगा।”

उन्होंने अपने दर्शकों को यह भी याद दिलाया कि सोशल मीडिया के आगमन के साथ, लोगों के पास अब बोलने की शक्ति है। यह पुराने दिनों की तरह नहीं है, जब कोई मंच नहीं था और केवल “नेता लोग” ही बोल सकते थे। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि मुख्य न्यायाधीश ने सोशल मीडिया पर न्यायाधीशों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार के बारे में उनसे मदद मांगी थी। उन्होंने कहा, “इसे कैसे कंट्रोल किया जाए? क्योंकि जज सोशल मीडिया पर इसका जवाब तो दे नहीं सकते। सरकार से सख्त कदम उठाने का अनुरोध किया गया है। मैंने इसका संज्ञान लिया है और इसका समाधान निकाला है।”

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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