सुप्रीम कोर्ट ने जोशीमठ में ज़मीन धंसने के मामले पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद की याचिका सुनने से सोमवार को इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तराखंड हाईकोर्ट पहले ही इस मामले को सुन रहा है। वह याचिकाकर्ता की तरफ से रखी गई सभी मांगों को सुनने में सक्षम है।
मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता को कहा कि जब हाई कोर्ट मामले की सुनवाई कर रहा है तो आप हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल क्यों नहीं करते? जिसपर याचिकाकर्ता ने कहा कि हम मौलिक अधिकार को लेकर आये है। सीजेआई ने कहा हाईकोर्ट पहले ही इस मामले को सुन रहा है। वह याचिकाकर्ता की तरफ से रखी गई सभी मांगों को सुनने में सक्षम। मुख्य न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि हम याचिकर्ता को इजाजत देते है कि वो हाई कोर्ट जाए। हाई कोर्ट लंबित याचीका के साथ इनकी याचीका ओर सुनवाई करे। यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचीका का निपटारा कर दिया।
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने अपनी याचिका में मांग की है कि कोर्ट केंद्र और एनडीएमए को निर्देश दे कि वो जान माल का संकट का सामना कर रहे स्थानीय लोगों की मदद के लिए राहत कार्यों में राज्य सरकार को सहयोग करें। याचीका में यह भी मांग की गई कि भूस्खलन के चलते अपना घर खोने वाले लोगों को राज्य सरकार तुंरत आर्थिक सहयता उपलब्ध कराए।
स्थानीय प्रशासन लोगों को सुरक्षित जगहों पर विस्थापित करें। याचीका में मांग की गई है कि तपोवन विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना के तहत चल रहे सभी निर्माण कार्यों पर रोक लगे। जब तक कोर्ट द्वारा नियुक्त कमेटी इसे मंजूरी नहीं दे देती, तब तक ये रोक जारी रहे। साथ ही ज्योतिर्मठ और आसपास के इलाकों में हिंदुओं/सिखों के धार्मिक,आध्यात्मिक, सांस्कृतिक स्थानों को संरक्षित रखने के लिए केन्द्र, राज्य सरकार प्रभावी कदम उठाए