सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) को भंग (कार्यमुक्त) करते हुए कहा कि एसआईटी ने पहले ही अपनी जांच पूरी कर ली है और ट्रायल कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर दिया है।
मामला 3 अक्टूबर 2021 को हुई हिंसा से जुड़ा है, जिसमें लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया इलाके में चार किसानों समेत आठ लोगों की जान चली गई थी।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने यह भी कहा कि यदि एसआईटी के पुनर्गठन की आवश्यकता पड़ी तो उचित आदेश पारित किया जाएगा।
शीर्ष अदालत ने पहले पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन को मामले की उत्तर प्रदेश पुलिस एसआईटी की जांच की दैनिक आधार पर निगरानी करने के लिए नियुक्त किया था।
एसआईटी में तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी शामिल थे: एसबी शिरोडकर, दीपिंदर सिंह और पद्मजा चौहान। 11 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अभियोजन का सामना कर रहे केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की अंतरिम जमानत 26 सितंबर तक बढ़ा दी थी।
यह हिंसा उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के क्षेत्र के दौरे के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई। कथित तौर पर एक एसयूवी ने चार किसानों को कुचल दिया, और उसके बाद, एक ड्राइवर और दो भाजपा कार्यकर्ताओं को गुस्साए किसानों ने कथित तौर पर पीट-पीट कर मार डाला।
हिंसा में एक पत्रकार की भी जान चली गई, जिससे विपक्षी दलों और किसान समूहों के बीच व्यापक आक्रोश फैल गया, जो केंद्र सरकार लाए गए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे।