कुछ दिन पहले देश के टेलिविजन शो में भारत के लॉ मिनिस्टर किरन रिजिजू ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को संवैधानिक मसलों को निपटाने पर जोर देना चाहिए। छोटे केसेस में समय नहीं लगाना चाहिए। किरन रिजिजू के उस बयान का जवाब सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट के फाउंडेश डे के एक कार्यक्रम में दिया। उन्होंने किसी व्यक्ति या घटना का जिक्र किए बिन कहा कि अदालत के लिए, कोई बड़ा या छोटा मामला नहीं होता है, हर मामला महत्वपूर्ण होता है क्योंकि नागरिकों की शिकायतों से जुड़े छोटे मामलों में ही संवैधानिक और न्यायशास्त्रीय महत्व के मुद्दे सामने आते हैं। ऐसी शिकायतों को दूर करने में अदालत संवैधानिक दायित्वों का पालन करती है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार क दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में शीर्ष अदालत से लेकर निचली अदालत की भूमिका पर चर्चा भी की।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि हमारी अदालतें लैंगिक समानता के एक मजबूत समर्थक के रूप में उभरी है, चाहे वह विरासत के कानून की व्याख्या हो या सशस्त्र बलों में महिलाओं के प्रवेश को सुरक्षित करना हो।
इससे पहले सीजेआई चंद्रचूड़ ने ओडिशा के 10 अलग-अलग जिलों में वर्चुअली हाई कोर्ट का उद्घाटन किया। इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि प्रतिभा की कोई भौगोलिक सीमा नहीं और यह उन लोगों का ‘एकाधिकार’ भी नहीं है जो महानगरों में रहते हैं। उन्होंने राज्य भर में बार के सदस्यों से ‘वर्चुअल हाई कोर्ट’ के महत्व को भी समझाया। सीजेआई ने ओडिशा के चीफ जस्टिस की तारीफ की। कहा कि दो साल पहले किसने सोचा था कि ओडिशा के हर जिले में हाई कोर्ट होगा। लेकिन, आज वर्चुअली हाईकोर्ट शुरू करके यह मुमकिन हो सका है।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को ओडिशा में वर्चुअल हाईकोर्ट का उद्घाटन करते हुए ओडिशा के चीफ जस्टिस डॉ. एस. मुरलीधर के नेतृत्व की तारीफ की। उन्होंने कहा कि ओडिशा हाईकोर्ट ने न्याय प्रदान करने के लिए तकनीक को अपनाने के क्षेत्र में खुद को ‘अग्रणी’ साबित किया है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि ओडिशा ने यह साबित कर दिखाया है कि आज प्रतिभा की कोई भौगोलिक सीमा उन लोगों का एकाधिकार नहीं है जो सिर्फ महानगरों में रहते हैं।
उन्होंने कहा, “ओडिशा हाई कोर्ट ने रिकॉर्ड्स का डिजिटीकरण किया है, पेपरलेस कोर्ट का उद्घाटन किया, कमजोर गवाह बयान केंद्रों (वीडब्ल्यूडीसी) की स्थापना की है और डिजिटल रिकॉर्ड रूम (आरआरडीसी) तैयार किया है और बहुत कम समय में इतना बहुत कुछ किया है।
सीजेआई ने कहा कि दो साल पहले इनमें से अधिकतर ई-पहल सपने की तरह लगती थीं। राज्य के हर जिले में संचालित उड़ीसा हाईकोर्ट के बारे में सोच कर आम नागरिक शायद हंस सकता था।