जमीयत उलेमा ए हिन्द ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में याचीका दाखिल कर देश के पांच राज्यों के धर्मांतरण कानून को चुनोती दी है। जमीयत ने अपनी याचिका में पांच राज्यों के धर्मांतरण कानून को अंसवैधानिक घोषित करने की मांग की है।याचिका में आरोप लगाया गया है कि इन राज्यों के कानून अंतर-धर्म कपल को परेशान करने का साधन है।याचिका में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और गुजरात में बनाए गए धर्मांतरण कानून को असंवैधनाकि घोषित करने की मांग की गई है।
याचिका में कहा गया कि अंतर्धार्मिक जोड़ों को परेशान करने और उन्हें फंसाने के लिए कानून का इस्तेमाल किया जा रहा है। जमीयत ने मांग की है कि धर्म परिवर्तन अधिनियम, 2021 (उत्तर प्रदेश अधिनियम), उत्तराखंड की स्वतंत्रता, धर्म अधिनियम, 2018 (“उत्तराखंड अधिनियम”), हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम, 2019 (हिमाचल प्रदेश अधिनियम), मध्य प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम, 2021 (“मध्य प्रदेश अधिनियम”) और गुजरात धर्म की स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम, 2021 (“गुजरात अधिनियम”) को रद्द करने की मांग की है।
जमीयत ने अपनी याचीका में आरोप लगाया है कि इन कानूनों के तहत बड़ी संख्या में मुस्लिमों को परेशान किया जा रहा है। मध्य प्रदेश में धर्मांतरण कानून के तहत अधिकतम 10 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है। अगर प्रलोभन, धमकी, कपट, षड़यंत्र से या धर्म छिपाकर विवाह करेगा तो वह विवाह भी शून्य माना जाएगा।