ENGLISH

जोशीमठ में भू-धंसाव: ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिका

Joshimath, Supreme Court

जोशीमठ में भू-धंसाव का मामला अब देश की सबसे बड़ी अदालत में पहुँच गया है। ज्योतिष्पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती  महाराज ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। 

याचिका में इस क्षेत्र की जनता के जन माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भू स्खलन, भू धंसाव, भूमि फटने जैसी घटनाओं से निपटने के लिए राष्ट्रीय आपदा की श्रेणी में घोषित करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि इस बारे में कारगर कदम उठाने के लिए केंद्र सरकार और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को निर्देशिति करने की गुहार लगाई गई है। याचिका में प्रभावित लोगों के पुनर्वास के साथ उनको आर्थिक मदद मुहैया कराने का भी आदेश देने का आग्रह कोर्ट से किया गया है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि एनटीपीसी और सीमा सड़क संगठन को भी राहत कार्यों में मदद करने का आदेश दिया जाए।
याचिका में केंद्र सरकार, एनडीएमए, उत्तराखंड सरकार, एनटीपीसी, बीआरओ और जोशीमठ के जिला चमोली के जिलाधिकारी को पक्षकार बनाया गया है।

ज्योतिष पीठ शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि विकास के नाम पर “हिमालयी क्षेत्रों का सुनियोजित विनाश” जोशीमठ में भूमि धंसने का कारण है। शंकराचार्य ने कहा, “यह विकास के नाम पर हिमालयी क्षेत्रों के सुनियोजित विनाश का परिणाम है। जोशीमठ, जो भारतीय संस्कृति का प्रमुख केंद्र है, में आज हजारों लोगों का जीवन खतरे में है।”

उन्होंने आगे जोर देकर कहा कि इस भू-धंसाव के कारण चार मठों में से एक बद्रीनाथ मंदिर और जोशीमठ के नरसिंह मंदिर में ज्योतिष पीठ भी खतरे में है और देवता और शहर के लोगों को सुरक्षित स्थान पर पुनर्वासित करने का सुझाव दिया। “इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि नरसिंह मंदिर, जो भगवान बद्रीनाथ की सवारी का शीतकालीन प्रवास है और आदि जगद्गुरु शंकराचार्य का उत्तर भारत का ज्योतिषपीठ भी पृथ्वी में विलीन हो सकता है, इस प्रकार भारतीय संस्कृति के लिए इस तरह के एक महत्वपूर्ण शहर को खतरे में डाल सकता है।” “

दअरसल गेटवे ऑफ हिमालय’ के नाम से मशहूर जोशीमठ भू-धंसाव के बेहद कठिन दौर से गुजर रहा है। पिछले साल दिसंबर के महीने में क्षेत्र में कई जगहों पर भू-धंसाव की घटनाएं सामने आई थीं। शहर के मनोहर बाग वार्ड, गांधी वार्ड और सिंधार वार्ड में लोगों ने घरों में दरार आ गई थी। नगर क्षेत्र में भू-धंसाव से मकानों के साथ कृषि भूमि के भी प्रभावित होने की घटनाएं आईं। यहां खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ी और कई जगहों पर तो खेतों की दरारें एक फीट तक चौड़ी हो गईं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पीएमओ लगातार मामले की निगरानी कर रहा है। स्थिति को देखते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार शाम उच्च स्तरीय बैठक की। वह आज शनिवार को जोशीमठ ग्राउंड जीरो हालात का जायजा लेने पहुंचे।

Recommended For You

About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *