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ट्रांसजेंडर शिक्षिक के साथ भेदभाव, सुप्रीम कोर्ट नाराज, स्कूलों से मांगा जवाब

एक ट्रांसजेंडर शिक्षिक के साथ हुई भेदभावपूर्ण कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की है। इस ट्रांसजेंडर शिक्षिक को गुजरात और उत्तर प्रदेश के दो निजी स्कूलों ने महज इसलिए हटा दिया क्यों कि वो ट्रांसजेंडर थी।

शिक्षिका द्वारा उसकी बर्खास्तगी को चुनौती देने वाली रिट याचिका को निपटाने वाली पीठ की अध्यक्षता कर रहे सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने शुक्रवार 2 फरवरी को क्षोभ व्यक्त किया। बेंच ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के साथ उसकी विशिष्ट पहचान के लिए भेदभाव किया जाता है तो यह समाज के लिए कलंक है।

याचिकाकर्ता के अनुसार, स्कूल अब बर्खास्तगी के आधार के रूप में समय की पाबंदी और गुस्से जैसे बहानों का उपयोग कर रहा है। हालांकि गुजरात राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने अदालत को सूचित किया कि हालांकि स्कूल ने उसे नौकरी की पेशकश की थी, लेकिन याचिकाकर्ता ने कभी भी प्रस्ताव का जवाब नहीं दिया। कोर्ट ने राज्य अधिकारियों को इस मामले पर एक रिपोर्ट प्रदान करने के लिए कहा गया था।

निजी स्कूल के वकील ने बताया, “उसे एक प्रस्ताव पत्र दिया गया था, और दस्तावेज़ सत्यापन के बाद उसकी ज्वाइनिंग निर्धारित थी। हालांकि, सत्यापन प्रक्रिया के दौरान उसकी पहचान का खुलासा करने पर, उसे शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई थी। यह सत्यापित करने की आवश्यकता है कि क्या यह था वास्तविक कारण। स्कूल के वकील ने कोर्ट को बताया कि ट्रांसजेंडर होना उनकी नियुक्ति न होने का एकमात्र कारण नहीं था।”

अदालत को यह भी बताया गया कि याचिकाकर्ता ने 2022 में दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष भी इसी तरह की याचिका दायर की थी, जिसमें दिल्ली के एक अन्य स्कूल द्वारा उसकी नियुक्ति अस्वीकृति को चुनौती दी गई थी।

याचिकाकर्ता के वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा कि प्रस्ताव पत्र बिना शर्त था, और जब जामनगर में दस्तावेज़ सत्यापन के लिए बुलाया गया, तो वह अपने खर्च पर एक होटल में रुकी।

इससे पहले 2 जनवरी, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने एक ट्रांसजेंडर शिक्षक द्वारा दायर रिट याचिका में नोटिस जारी किया, जिसमें उसने अपनी लिंग पहचान का खुलासा करने पर गुजरात और उत्तर प्रदेश के दो स्कूलों से बर्खास्तगी का आरोप लगाया था। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा सहित पीठ ने भारत संघ, राज्य सरकारों और स्कूलों को नोटिस भेजकर उनका जवाब मांगा था।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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