दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग के अधिकार के मामले में गुरुवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से एस जी तुषार मेहता ने कहा कि आचरण की नियमावली कहती है कि अधिकारी उपराज्यपाल को फाइलें भेजते है।उन्होंने कहा कि हम यह नहीं कह रहे है कि नौकरशाही को केंद्र के प्रति वफादार होना चाहिए लेकिन केंद्र के पास नियंत्रण और उनका संज्ञान होना चाहिए।
तुषार मेहता ने दिल्ली सरकार के उस तर्क पर सवाल उठाया जिसमे कहा गया कि जब एक बार जब कोई अधिकारी मंत्रालय में पोस्ट हो जाता है तो उसे यह बता दिया जाता है कि कौन सी रिपोर्ट देनी है और कौन सी फाइल भेजनी है, यह सही नहीं है।
उन्होंने ने कहा यूनियन सर्विस, यूनियन पब्लिक सर्विस और यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन यह सब आल इंडिया सर्विस के नियम के तहत आते हैं।यहां सवाल राष्ट्रीय राजधानी का है। दिल्ली में एक अलग अवधारणा के तहत बनाई गई थी। यहां जो कुछ भी होगा उसका असर दूर तक होगा। उन्होंने कहा कि भारत में दिल्ली एक ऐसा महानगरीय छोटा भारत है। जिसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि देखे तो यह स्पष्ठ हो जाता है कि दिल्ली चीफ कमिश्नर प्रोविजन रहा है न कि संघीय राज्य। तुषार मेहता ने कहा कि स्वतंत्रता से पहले जब संविधान लागू नही हुआ था। उस समय संविधान सभा ने कहा था कि यह राष्ट्रीय राजधानी है और किसी राष्ट्र को उसकी राजधानी द्वारा जाना जाता है। इसलिए दिल्ली की विशेष जिम्मेदारी होनी चाहिए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि अगर दिल्ली को एक पूर्ण राज्य बनाया गया है तो संघ के लिए लोक व्यवस्था,जन-स्वास्थ्य और अनिवार्य सेवाओं आदि पर नियंत्रण रखना असंभव होगा। एसजी यह भी कहा कि यह नियंत्रण की नही बल्कि यह भारत के संविधान की व्याख्या का मामला है।
एसजी ने कहा कि दिल्ली पार्ट C के राज्यों में आता है। यह पूर्ण राज्य नहीं है।केंद्र शासित क्षेत्र संघ का ही विस्तार है।यह कई तरह के हो सकते है कुछ के पास विधानमंडल हो सकता है तो कुछ में नही होता लेकिन अंततः केंद्रीय शासित क्षेत्र का प्रभुत्व और नियंत्रण, समय की आवश्यकता ही नही बल्कि हमेशा ऐसा रहेगा। एसजी ने कहा कि मेरी समझ कहती है कि हमारे सामने विशेष प्रविष्टि की व्याख्या और प्रयोज्यता का मुद्दा है। उन्होंने कहा कि जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ विशिष्ट प्रविष्टियों के पक्ष से डील नही किया था। एसजी ने इस पर कहा कि यह मुद्दा अधूरा रह गया। वही जस्टिस एम आर शाह ने कहा हम यही हम व्याख्या करने की कोशिश कर रहे हैं कि पहले की बेंच ने इस कानूनी बिंदु पर विचार नहीं किया और हमें अब इस पर विचार करना होगा। तुषार मेहता ने कहा अनुच्छेद 239एए के खंड 3 का उपखंड ए के3 तहत दिल्ली विधानमंडल के कुछ अपवादों को छोड़कर अन्य विषयों पर कानून पारित करने की शक्ति की गणना करता है। मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में अभी भी जारी है।