‘आंतकवाद’ पर… खासतौर पर केरल में हिंदू और क्रिश्चियन लड़कियों को प्रेम पाश (लव जिहाद) में फांस कर ब्रेन वॉश करने,उनका धर्मांतरण कराने और फिर आईएसआईएस में शामिल कराने की कहानी पर आधारित ‘द केरला स्टोरी’ की रिलीज पर बैन लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया है। तमाम विरोधों के बावजूद देश भर के सिनेमाघरों ‘द केरला स्टोरी’शुक्रवार को रिलीज होने जा रही है।
इससे पहले ‘द केरला स्टोरी’ पर रोक लगाने का मामला सुप्रीम कोर्ट से शुरू होकर केरल हाईकोर्ट-मद्रास हाई कोर्ट होते हुए एकबा फिर वापस सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। केरल हाईकोर्ट ने जैसे ही फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने से इंकार का फैसला सुनाया वैसे ही एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के सामने स्पेशल मेंशनिंग की गई।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि केरला हाईकोर्ट ने विस्तृत आदेश जारी किया है और उन्हें उसके आदेश में कोई कमी नजर नहीं आती है। काफी देर तक हुए तर्क वितर्क के बाद याचिकाकर्ताओं ने नया मुद्दा फिल्म के सर्टिफिकेट का मुद्दा रख दिया। इस पर चीफ जस्टिस ने पूछा कि सर्टिफिकेशन की तारीख क्या है? चीफ जस्टिस में कड़े लहजे में कहा कि कभी आप हेट स्पीच की बात करते हैं तो कभी फिल्म के सर्टिफिकेट को चैलेंज करने लगते हैं। आप चाहते क्या हैं। हम इस तरह फिल्म की रिलीज पर रोक नहीं लगा सकते।
किसी भी तरह का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में उठाते समय देखना चाहिए कि प्रोड्यूसर को किन किन चुनौतियों को सहन करेगा। हालांकि, चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ताओं के वकील को ऑप्शन दिया कि वो शुक्रवार सुबह सवा दस बजे मामले को मेंशन करें और जल्द सुनवाई की मांग करें, लेकिन याचिकाकर्ताओं के वकील अहमदी आज (गुरुवार को) ही सुनवाई की मांग पर अड़े रहे।
अंत में सीजेईआई चंद्रचूड़ ने कहा कि फिल्म को सीबीएफसी से सर्टिफिकेट मिला है, केरला हाईकोर्ट ने रोक नहीं लगाई है। हम ने भी कल सुनने से इंकार किया। सभी तीन स्टेप पूरे हो चुके है। लिहाजा यह कोर्ट ‘द केरला स्टोरी’के केस में किसी तरह का आदेश नहीं दे रही है।