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धर्मांतरण से संबंधित याचिका कहीं भी हो, अब सुनी सुप्रीम कोर्ट में ही जाएगी, स्थांतरण याचिका को मिली मंजूरी

CJI, Force Conversion

सुप्रीम कोर्ट ने धर्मांतरण विरोधी कानून से संबंधित अलग अलग हाईकोर्ट लंबित याचिकाओं को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने के लिए याचिका दायर करने की अनुमति दे दी है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा कि वे हाईकोर्ट के समक्ष लंबित याचिकाओं को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने के लिए एक आवेदन दायर करें। धर्मांतरण विरोधी कानून को चुनौती देने वाली याचिकाएं इलाहाबाद, मध्य प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, झारखंड, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के उच्च न्यायालयों में लंबित हैं। पीठ ने अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा कि सुनवाई की अगली तारीख पर इन याचिकाओं को शीर्ष अदालत को हस्तांतरित किया जाता है या नहीं, इस सवाल पर वह उनका पक्ष सुनेंगे।

21 याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने की याचिका का विरोध करते हुए, अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणि ने कहा कि उच्च न्यायालयों को उनके समक्ष संबंधित धर्मांतरण विरोधी राज्य कानूनों को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला करने दें और शीर्ष अदालत के समक्ष उनके फैसले के खिलाफ हमेशा अपील होती है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, झारखंड, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश द्वारा धर्मांतरण विरोधी कानून के खिलाफ याचिकाएं लंबित है।

सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि सभी कानून एक जैसे हैं। पीठ ने मामले को आगे के विचार के लिए 30 जनवरी के लिए सूचीबद्ध किया। एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी विल्सन ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ताओं में से एक – अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय – ने अतीत में एक ही मुद्दे पर दो बार याचिका दायर की थी और उन्हें वापस ले लिया था, हर बार जब वे सुनवाई के लिए आए और अब एक बार फिर वह शीर्ष अदालत के सामने धर्मांतरण का वही मुद्दा उठा रहे हैं। उपाध्याय से यह कहते हुए कि एक ही मुद्दे पर बार-बार याचिका दायर करना उचित नहीं है, पीठ ने कहा, “हम बाद में किसी तारीख में विल्सन की आपत्ति पर विचार करेंगे।” उन्होंने याचिका दायर कर दावा किया था कि देश भर में फर्जी और धोखे से धर्मांतरण हो रहा है।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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