नोटबंदी को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को खारिज करते हुए कहा कि 2016 में नोटबंदी के फैसले को वैध करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा नोट बंदी के फैसले को सिर्फ इसलिए गलत नहीं कहा जा सकता है क्योंकि इसका प्रस्ताव केंद्र सरकार की तरफ से दिया गया था।सरकार के फैसले के पीछे तार्किक वजहें थीं।
2016 में नोटबंदी को चुनौती देते हुए दाखिल की गई 58 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपना फैसला सुनाया। जस्टिस अब्दुल नजीर के नेतृत्व वाली सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया है।
दरअसल जस्टिस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने इस मामले पर सुनवाई के बाद 7 दिसंबर 2022 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
6 दिसंबर को मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने को केंद्र और आरबीआइ को पूछा था कि आर्थिक नीति के मामलों में न्यायिक समीक्षा के सीमित दायरे का मतलब ये नहीं है कि अदालत हाथ बांधकर चुप बैठ जाएगी। अदालत ने कहा कि सरकार किस तरह से निर्णय लेती है, उसकी कभी भी पड़ताल की जा सकती है।
मामले की सुनवाई के दौरान रिजर्व बैंक के वकील ने कहा कि अर्थव्यवस्था में फिर से मुद्रा का प्रवाह बढ़ाने के लिए विस्तृत उपाय किए गए थे। वही याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि नोटबंदी के दौरान नागरिकों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था।