बेनामी लेनदेन कानून को लेकर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ एक समीक्षा याचिका दाखिल की है। दरअसल यह समीक्षा याचिका सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ दाखिल की गई है जिसमें कोर्ट ने कहा था कि आयकर विभाग बेनामी लेनदेन निरोधक कानून को पिछली तारीख से लागू नहीं कर सकता है।
सूत्रों ने लीगली स्पीकिंग को बताया है, कि सीबीडीटी ने इस समीक्षा याचिका में दलील दी है कि आरोपी शख्स का गैरकानूनी संपत्तियां रखना एक ‘सतत आपराधिक कृत्य’ माना जाना चाहिए।
याचिका में सीबीडीटी ने कहा है कि जिन लोगों ने 2016 से पहले बेनामी संपत्तियां बनाई थीं, वे उसका लाभ अभी भी ले रहे हैं लिहाजा उन्हें बख्शा नहीं जा सकता है।
सीबीडीटी ने याचीका में जो आधार दिया है वो इस तर्क पर आधारित है कि ‘बेनामी’ तंत्र के माध्यम से संपत्ति का निर्माण या हस्तांतरण एक सतत आपराधिक कृत्य है और अपराधी इस तरह अवैध रूप से अर्जित फल का आनंद लेना जारी रखते हैं।
सुप्रीम कोर्ट सर्दियों की छुट्टियों के बाद याचीका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर सकता है।
दरसअल सीबीडीटी केंद्रीय वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के तहत कर विभाग के लिए नीति तैयार करता है। सूत्र बताते है कि सीबीडीटी ने आयकर विभाग की क्षेत्रीय इकाइयों से राय लेने के बाद यह समीक्षा याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की है।