31 जनवरी 2023 की रात सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दो जजों को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त करने की सिफारिश संघीय सरकार के पास भेजी है। यह सिफारिश बेहद जटिल परिस्थितयों में भेजी गई हैं। पहली जटिलता तो यह है कि कॉलेजियम और सरकार में ठनी हुई है और दूसरी जटिलता यह है कि दो नए जजों की नियुक्ति के प्रस्तावों में से एक जज के नाम पर कॉलेजियम के एक जज ने आपत्ति जताई है। मतलब यह कि दो नए जजों की नियुक्ति का प्रस्ताव कॉलेजियम में भी सर्वसम्मति से नहीं भेजा गया है। पांच जजों के कॉलेजियम में से एक जज केएम जोसेफ ने गुजरात हाईकोर्ट जज को सुप्रीम कोर्ट में प्रमोट किए जाने के प्रस्ताव का विरोध किया है। केएम जोसेफ ने कहा कि अरविंद कुमार के नाम पर विचार पर बाद में कभी विचार किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट सरकार के बीच चल रही रस्साकसी के बीच सुप्रीम कोर्ट ने जिन 2 जजों की की नियुक्ति का प्रस्ताव भेजा गया है वो भी फ्रैक्चर्ड है। पांच में एक जज गुजरात के जज अरविंद के नाम को सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर भेजने के पक्ष में नहीं हैं। कॉलेजियम के फाइनल प्रपोजल में इन सभी विरोधाभासों में का खुल कर जिक्र है।
इससे पहले 13 दिसंबर 2022 को कॉलेजियम ने राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पंकज मित्तल, पटना हाईकोर्ट के सीजे जस्टिस संजय करोल, मणिपुर हाईकोर्ट के सीजे जस्टिस पीवी संजय कुमार, पटना हाईकोर्ट के जज जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस मनोज मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट जज बनाने की सिफारिश की थी। केंद्र ने अभी तक उनकी नियुक्ति को मंज़ूरी नहीं दी है।
कॉलेजियम में शामिल जस्टिस केएम जोसेफ ने गुजरात हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरविंद कुमार के नाम पर आपत्ति जताते हुए कहा कि उनके नाम (चीफ जस्टिस अरविंद कुमार के) पर बाद में विचार किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में शामिल CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस केएम जोसेफ, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस संजीव खन्ना ने सिफारिश में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में विविधता और समावेश सुनिश्चित करने की आवश्यकता के लिए
1। उच्च न्यायालयों का प्रतिनिधित्व जिनका सर्वोच्च न्यायालय में प्रतिनिधित्व नहीं है या अपर्याप्त प्रतिनिधित्व है;
(ii) समाज के सीमांत और पिछड़े वर्गों से व्यक्तियों की नियुक्ति;
(iii) लैंगिक विविधता; और
(iv) अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व को मानदंड बनाया गया है
13 दिसंबर को जो पांच जजों की नियुक्ति की सिफारिश की गई थी उनकी नियुक्ति को पहले तरजीह दी जाए।
गौरतलब है कि जजों की नियुक्ति के मसले को लेकर केंद्र सरकार और न्यायपालिका के बीच टकराव की स्थिति है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने कानून मंत्रालय को एक नोट लिखकर भेजा है। इसमें जजों की नियुक्ति पर केंद्र को आगाह किया गया है। इस नोट में याद दिलाया गया है कि जज नियुक्त करने के लिए अगर कॉलेजियम नाम की सिफारिश दोहराता है तो सरकार को मंज़ूरी देनी ही होगी। दूसरी ओर, केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा न्यायाधीशों के लिए अनुशंसित उम्मीदवारों को लेकर सरकार की आपत्तियों को सार्वजनिक करने पर सख्त ऐतराज जताया है।
पिछले हफ्ते, भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाय चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने SC की वेबसाइट पर जज के लिए तीन उम्मीदवारों की पदोन्नति पर सरकार की आपत्तियों को सार्वजनिक कर दिया था। सरकार के साथ टकराव के बीच उसकी आपत्तियों को लेकर खुफिया एजेंसियों-रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW)और द इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB)के दस्तावेजों को सार्वजनिक करने का अभूतपूर्व कदम सुप्रीम कोर्ट ने उठाया था।
इस मुद्दे पर मीडिया से बात करते हुए कानून मंत्री ने कहा था, “रॉ या आईबी की गुप्त और संवेदनशील रिपोर्ट को सार्वजनिक करना गंभीर चिंता का विषय है जिस पर मैं उचित समय पर प्रतिक्रिया दूंगा।दरअसल, सरकार, न्यायाधीशों की नियुक्ति में बड़ी भूमिका के लिए दबाव बना रही है जो 1993 से सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम या वरिष्ठतम न्यायाधीशों के पैनल का डोमेन रहा है। सरकार की दलील है कि विधायिका सर्वोच्च है क्योंकि यह लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करती है।