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बिलकिस बानो केसः महुआ मोइत्रा की जनहित याचिका से जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने खुद को किया अलग

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बेला त्रिवेदी ने टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। महुआ मोइत्रा ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर गुजरात सरकार द्वारा बिलकिस बानो के बलात्कारियों और उसके परिवार के लोगों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को क्षमादान करने के फैसले को चुनोती दी है।

जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस अजय रस्तोगी की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस अजय रस्तोगी ने कहा कि जस्टिस जस्टिस बेला एम त्रिवेदी मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर रही है।

हालांकि जस्टिस अजय रस्तोगी ने कहा वो फरवरी के मध्य में इस मामले की सुनवाई करेंगे। जिसका मतलब है कि फरवरी में सुनवाई के लिए नई बेंच का गठन होगा।

दरसअल साल 2008 में बिलकिस बानो का गैंग रेप और उसके परिवार के लोगों की हत्या के 11 दोषियों को गुजरात हाई कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। बाद में गुजरात सरकार ने सभी दोषियों को राज्य की रेमिशन पालिसी के तहत समयपूर्व रिहा कर दिया था।

ध्यान रहे मई 2022 में, शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को 1992 की नीति के अनुसार उनकी याचिका पर विचार करने का निर्देश दिया था। जबकि 2014 की नवीनतम छूट नीति बलात्कार के दोषियों की जल्द रिहाई पर रोक लगाती है। गुजरात सरकार ने रिहाई के संबंध में निर्णय लेने के लिए एक समिति का गठन किया था। इस समिति की रिपोर्ट पर सरकार ने सभी दोषियों को राज्य की 1992 की छूट नीति (रेमिशन पालिसी) के तहत रिहा कर दिया।

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About the Author: Meera Verma

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