सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को औरंगाबाद शहर का नाम बदलकर ‘छत्रपति संभाजीनगर’ करने को चुनौती देने वाली एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को पहले बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका पर आने वाले फैसले का इंतजार करना चाहिए। , इस वाद को सुनने वाली पीठ में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला शामिल थे।
याचिका में भारत सरकार और महाराष्ट्र राज्य द्वारा संभागीय आयुक्त, औरंगाबाद के पत्र दिनांक 4 मार्च 2020 को दी गई मंजूरी को चुनौती दी गई थी। इसी पत्र के माध्यम से अधिसूचित किया गया था कि औरंगाबाद शहर का नाम बदलकर ‘छत्रपति संभाजीनगर’ कर दिया गया है।
जैसे ही सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई शुरू की वैसे ही महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने जानकारी दी कि यह मामला बॉम्बे हाईकोर्ट में भी 27 मार्च को सूचीबद्ध है। इतना सुनने के बाद सीजेआई ने कहा कि मामला हाईकोर्ट में लंबित है इसलिए उनकी पीठ इस याचिका पर विचार नहीं करेगी।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से मामले को अगले हफ्ते के पहले दिन यानी सोमवार को लिस्ट करने की मांग की तो सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा हाईकोर्ट ही जाइए।
याचिकाकर्ता के अनुसार, उन्होंने 1996 में औरंगाबाद का नाम बदलने के इसी तरह के प्रयास को चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया था कि उक्त मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया, उस वक्त अदालत ने यथास्थिति का आदेश दिया। हालाँकि, बाद में अधिसूचना को राज्य सरकार द्वारा वापस ले लिया गया। याचिका में तर्क दिया गया कि शहर का नाम बदलने के वर्तमान प्रयास को उनके द्वारा एक जनहित याचिका के माध्यम से फिर से चुनौती दी गई थी जो बॉम्बे उच्च न्यायालय में लंबित है। इस बात को नजरअंदाज करते हुए भारत सरकार ने शहर के नाम में प्रस्तावित परिवर्तन को मंजूरी दे दी।