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सुप्रीम कोर्ट ने प्रस्तावना से ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ को हटाने की मांग वाली याचिका स्थगित 29 अप्रैल तक स्थगित की

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना से ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ शब्द हटाने की मांग करने वाली भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका शुक्रवार को स्थगित कर दी है।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने मामले को 29 अप्रैल से शुरू होने वाले सप्ताह के लिए निर्धारित किया। स्वामी ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि 42वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 के दौरान जोड़े गए इन शब्दों को शामिल करने से केशवानंद में स्थापित बुनियादी संरचना सिद्धांत का उल्लंघन हुआ है।

उन्होंने तर्क दिया कि संविधान में संशोधन करने की संसद की शक्ति इसकी मूलभूत विशेषताओं को बदलने से प्रतिबंधित थी।

भाजपा नेता ने जोर देकर कहा कि संविधान निर्माताओं ने मूल रूप से इन शब्दों को शामिल करने से इनकार कर दिया था, उनका दावा था कि इन्हें उनकी सहमति के बिना आपातकाल के दौरान लगाया गया था। उन्होंने तर्क दिया कि इस तरह की प्रविष्टि अनुच्छेद 368 के तहत संसद की संशोधन शक्ति से अधिक है।

स्वामी ने आगे कहा कि डॉ. बीआर अंबेडकर ने इन शब्दों को शामिल करने का विरोध किया था, क्योंकि संविधान को नागरिकों पर विशिष्ट राजनीतिक विचारधाराएं नहीं थोपनी चाहिए, जिससे उन्हें चुनने के अधिकार से वंचित किया जा सके।

राज्यसभा सांसद और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता बिनॉय विश्वम ने स्वामी की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि ‘धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद’ संविधान के अंतर्निहित और मौलिक पहलू थे।

विश्वम ने स्वामी की याचिका की आलोचना करते हुए इसे भारतीय राजनीति में धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद को कमजोर करने का प्रयास बताया। उन्होंने याचिका को कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग बताते हुए कहा कि इसमें योग्यता नहीं है और इसे अनुकरणीय कीमत पर खारिज किया जाना चाहिए।

विश्वम के आवेदन में तर्क दिया गया कि स्वामी का असली मकसद राजनीतिक दलों को धर्म के आधार पर प्रचार करने में सक्षम बनाना था। वकील बलराम सिंह और करुणेश कुमार शुक्ला द्वारा दायर एक अन्य याचिका में भी प्रस्तावना से ‘धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद’ को हटाने की मांग की गई।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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