हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास लगभग 29 एकड़ जमीन से अतिक्रमण हटाने के उत्तराखण्ड हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होनी है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका की बेंच उत्तराखंड हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि, हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण करने वालों को 9 जनवरी तक हटाया जाए। अगर उत्तराखण्ड हाईकोर्ट का पालन होता है तो 4,000 से अधिक परिवार प्रभावित होंगें।
बुधवार को उत्तराखंड के हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास रेलवे की ज़मीन पर अवैध कब्ज़ा हटाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दाखिल हुई है। याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ से बुधवार याचिका पर जल्द सुनवाई की गुहार लगाई थी। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा इस मामले में दूसरी भी याचिकाएं हैं। इन सब को गुरुवार यानी आज के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार रेलवे की जमीन पर अवैध कॉलोनी बनाकर में रहने वाले 4000 से अधिक परिवारों को घर खाली करने का नोटिस दिया गया है। इस जमीन पर स्कूल, मदरसे, मस्जिद और मंदिर भी बने हुए है। यहां एक वॉटर टैंक भी बना हुआ है। नगर निगम की सीवर लाइन और इलेक्ट्रिक सप्लाई की लाइनें भी हैं। यहां रहने वालों का दावा है कि वो दशकों से यहां रह रहे हैं। अब उन्हें न उजाड़ा जाए। उनका और उनके बच्चों के भविष्य का ख्याल रखा जाए।
दरअसल उत्तराखंड हाई कोर्ट के आदेश के बाद रेलवे ने ये फैसला किया है कि नोटिस के बाद घर खाली करने के लिए 7 दिन का समय दिया जायेगा। शहर में रेलवे कि 29 एकड़ ज़मीन से 4000 से अधिक अतिक्रमणकारियो को हटाया जायेगा। एक रिपोर्ट के अनुसार नैनीताल के जिले अधिकारियो ने कहा कि अतिक्रमित भूमि से 4365 अतिक्रंमण हटाये जायेंगे। अतिक्रमणियों का दावा है कि वो कई दशकों यहां रह रहे हैं। वो लगाता अदालत के आदेश पर अतिक्रमण हटाने का विरोध कर रहे है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रेलवे अधिकारियो ने रेलवे एक लंबी पट्टी पर बने घरों और अन्य ढांचों को गिराने कि प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी है। अतिक्रमणकारियों से लाइसेंसी हथियार जमा करने को कहा गया है।