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1998 कोयंबटूर ब्लास्ट: SC ने “नृशंस” अपराध के दोषियों को जमानत से किया इंकार

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सुप्रीम कोर्ट ने 1998 के कोयंबटूर बम विस्फोट की घटना को “नृंशस” बताते हुए कुछ दोषियों की जमानत याचिका खारिज कर दी है।
जस्टिस संजय किशन कौल, सीटी रविकुमार और सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा, “इन लोगो को उस मामले में दोषी ठहराया गया है जिसमें 58 लोगों की मौत हो गई थी। जमानत का सवाल ही नहीं उठता।”
शीर्ष अदालत का यह आदेश कुछ दोषियों द्वारा जमानत की मांग को लेकर दायर याचिका पर आया है।
जमानत याचिका खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि दोषियों द्वारा उनकी दोषसिद्धि और सजा को बरकरार रखने वाले मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली अपीलों को फरवरी 2024 के पहले सप्ताह के लिए सूचीबद्ध किया जाए।
जैसे ही दोषियों की ओर से पेश वकील ने जमानत की गुहार लगाते हुए कहा कि उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है और वे पिछले लगभग 25 वर्षों से हिरासत में हैं, पीठ ने उनसे पूछा, “कितने लोग मारे गए?”
जब वकील ने कहा कि 58 लोग मारे गए हैं, तो शीर्ष अदालत ने कहा, “देखो इन्होंने क्या किया है। 58 लोग मारे गए। जमानत पर विचार करते समय अपराध की प्रकृति एक महत्वपूर्ण कारक है। आपके अपराध के बारे में दो अदालतों द्वारा समवर्ती निष्कर्ष हैं। यह एक नृशंस घटना है।”
तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि इतने सारे लोगों की हत्या के अलावा, दोषियों ने शहर के साथ जो किया वह “अक्षम्य” था।
14 से 17 फरवरी, 1998 के बीच तमिलनाडु के कोयंबटूर शहर में 19 बम विस्फोटों में कम से कम 58 लोग मारे गए और 250 घायल हो गए थे।

मद्रास उच्च न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए गए लोगों द्वारा दायर अपील पर दिसंबर 2009 में अपने फैसले में कहा था कि 14 फरवरी, 1998, “अकल्पनीय आतंक और भयावहता का दिन था क्योंकि कोयंबटूर शहर में लगातार बम विस्फोट हो रहे थे”। मामले के 166 आरोपियों में से निचली अदालत ने अगस्त 2007 में 69 लोगों को विभिन्न अपराधों के लिए दोषी ठहराया था।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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